उत्तरप्रदेश में दलित समुदाय जातिगत भेदभाव की मार आज भी झेल रहा है। इसी से परेशान होकर एक दलित युवक ने सवाल किया है क्या वो हिन्दू नहीं है? मामला पश्चिमी उत्तरप्रदेश में एक दलित की बारात निकलने का है जिसे ठाकुर निकलने नहीं दे रहे हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बसई बाबस गांव के रहने वाले संजय कुमार की बारात कासगंज इलाके के एक ठाकुर बहुल गांव में जाने वाली है। लेकिन ठाकुरों द्वारा इस बारात का विरोध किया जा रहा है। ठाकुर चाहते हैं कि बारात उनके मोहल्ले से होकर ना गुज़रे। जबकि दलित चाहते हैं कि बारात पूरे गांव से होकर गुजरे, इसी को लेकर विवाद है।

यही वजह है कि पिछले कुछ समय से संजय, लगभग सभी सरकारी कार्यालयों, पुलिस अधिकारी, मुख्यमंत्री, एससी एसटी कमीशन समेत अधिकतर मीडिया हाउस को चिट्ठी लिखकर यह सवाल पूछ चुके हैं कि ‘क्या मैं हिंदू नहीं हूँ?’

15 मार्च को संजय ने मदद के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है। संजय का कहना है कि जब देश का संविधान कहता है कि हम सब समान हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो कि हिदुत्व पार्टी के सीएम हैं, कहते हैं कि हम सब हिंदू हैं। अगर ऐसा हो तो फिर मुझे इस तरह की परेशानी का सामना क्यों करना पड़ रहा है? मैं हिंदू नहीं हूं क्या? संविधान से चलने वाली सरकार में लोगों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते।

शादी में अब सिर्फ 20 दिन बाकी हैं। चौकाने वाली बात ये है कि मामले की जाँच करने आए कासगंज के जिलाधिकारी और एसएसपी ने भी कह दिया कि इस रास्ते पर पिछले 20 सालों से किसी भी दलित की बारात नहीं गुजरी है। इसलिए बारात वहां से न निकाली जाए।

डीएम ने ये तक कह दिया कि दलित बेवजह लड़ाई का मुद्दा बना रहे हैं। हम परंपरा नहीं बदल सकते। इलाके के ठाकुर विधायक भी ठाकुरों के पक्ष में ही खड़े दिखाई दे रहे हैं। जब प्रशासन से लेकर नेता तक जातिवाद को इस तरह बढ़ावा दे तो कैसे देश में जातिवाद ख़त्म करने और बराबरी की बात की जा सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी खुद दलितों के विकास और बराबरी की बात करते हैं। लेकिन उन्ही की पार्टी के राज में राज्य का प्रशासन ऐसा रवैय्या अपना रहा है। न ही भाजपा का कोई नेता दलित समुदाय के लिए खड़ा नहीं दिखाई दे रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here