नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही दो बड़े काम किए – एक कि बैंक में गरीबों के खाते खुलवा दिए । दूसरा कि मेक इन इंडिया की शुरुआत की। जिसकी शुरुआत करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम नहीं चाहते की भारत की उद्योग कंपनियों को भारत छोड़ कर जाना पड़े नरेंद्र मोदी ने कहा हम चाहते हैं कि भारत की कंपनियों की छवि भी अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियों की तरह लगे।
मगर बीते 3 सालों में पीएम मोदी का मेक इन इंडिया अच्छी नौकरी अच्छी शिक्षा नहीं बल्कि दंगें फ़ैलाने वाला हथियार बन चुका है। कोई भी भगवा झंडा लिए कहीं पर चढ़कर दंगा करने को तैयार हो जाता है।
सोशल मीडिया पर इन हिंसाओं के तमाम वीडियो पानी की तरह तैर रहे है। जिसे देखकर कहा जा सकता है की मेक इन इंडिया ने किसी को रोजगार दिया हो चाहे न दिया हो मगर बीजेपी की सरकार आने के बाद भगवा वालों की बल्ले बल्ले हो गई है।
ये भारत की एकता और गंगा जमुनी तहजीब की लगातार हत्या करने की कोशिश में लगे हुए है। हैरान करने वाली बात ये है की सरकार की तरफ से इन्हें कोई मना करने वाला ही नहीं है। सब हमेशा की तरह हिन्दू मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति खेलने में जुटे हुए हैं।
यहां सवाल ये उठता है की क्या मेक इन इंडिया और स्टार्टअप जैसी योजना सिर्फ टीवी और इंटरनेट तक ही सीमित रह गया है? क्या अब मेक इन इंडिया दंगाइयों को तैयार कर रहा है जिसके तहत सीधे साधे लोगों को भड़काकर सत्ता का लालच देते हुए उन्हें हिंसा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिससे वो एक दूसरे के खिलाफ नफ़रत पैदा कर ले और कहें मेरा देश बदल रहा है।
जिस तरह से पिछले दिनों बिहार में एक रंग का झंडा दुसरे समुदाय के धार्मिक स्थल पर झंडा फहरा रहा है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है दंगा करने वाले मंत्री के बेटे इसलिए उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। अगर इसे ही मेरा देश बदलना कहते है तो ज़रूर मेरा देश बदल रहा है मगर उस मेक इन इंडिया के तहत जिसमें सिर्फ नफरत के बीज एक दुसरे के खिलाफ भो दिए गए है।