जहां बड़े बड़े उद्द्योगपतियों को बैंक आराम से करोड़ों रुपए का लोन दे देती है, वहीं कुछ 2-3 लाख रूपयों का लोन लेने के लिए गरीब और माध्यम वर्ग के लोगों के बैंकों में चक्कर लगाते लगाते चप्पल तक घिस जाते हैं।

लोन देने की प्रक्रिया पर शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों को फटकार लगाई है। एक इंजीनियरिंग छात्रा को एजुकेशन लोन ना देने के बैंक की अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि, बैंक उद्द्योपतियों और गरीबों या माध्यम वर्ग को लोन देने के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाते हैं।

कोर्ट ने फटकार लगते हुए कहा कि, “बैंक पहले तो बिना किसी पर्याप्त सिक्योरिटी के उद्द्योगपतियों को लोन दे देता है, इसके बाद जब घोटाला सामने आता है और चीजें हाथ से निकल जाती हैं, तो बैंक लोन की रिकवरी के लिए एक्शन लेता है।

वहीं दूसरी तरफ मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के मामले में बैंक अलग मापदंड अपनाते हैं। उनसे सारे कागजात लेते हैं और अच्छे से जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं।”

कोर्ट ने ये भी बताया कि बैंक सरकार और रिज़र्व बैंक के निर्देशों का पालन नहीं कर रहें हैं। केंद्र सरकार ने बैंको को गरीब छात्रों को आसानी से एजुकेशन लोन देने के निर्देश दिए हैं। मगर बैंक अपनी मनमानी करते हैं। कोर्ट ने कहा, “बैंक ऐसा न करके सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।”

बता दें कि इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेने के लिए तमिलनाडु की एक छात्रा ने इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.45 लाख रुपये के एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई किया था। लेकिन, बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया था।

तब छात्रा इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंची थी, जहां सिंगल जज की बेंच ने छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक को लोन मंजूर करने का आदेश दिया।

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