मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीगढ़ के सुकमा में मंगलवार को सर्च ऑपरेशन के दौरान CRPF के 9 जवान नक्सलियों के शिकार हो गए हैं। इस घातक हमले में 6 जवान घायल हुए हैं, जिनमें से 4 की हालत नाजुक बताई जा रही है। जवानों को पहले आईडी ब्लास्ट से निशाना बनाया गया, फिर फायरिंग की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमले में करीब 100 माओवादी शामिल थे।

8 नवंबर की रात राष्ट्र को संबोधित करते वक्त पीएम मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सवाद की समस्या खत्म हो जाएगी। नोटबंदी को एक साल चार महीने हो चुके लेकिन न तो नक्सलवाद खत्म हुआ है और न ही आतंकवाद। क्या पीएम मोदी ने तब देश की जनता से झूठ बोला था? अगर सच बोला था तो नक्सलवाद और आतंवाद की कमर क्यों नहीं टूटी?

छत्तीसगढ़ और नक्सवाद की समस्या-

मध्य प्रदेश का दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र को सन् 2000 में अलग करके एक नए राज्य का निर्माण किया गया। 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ बना। 9 नवंबर, 2000 को कांग्रेस के अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने। तीन साल 27 दिन सरकार चलाने के बाद अजीत जोगी सत्ता से बाहर हो गए।

7 दिसंबर 2003 को छत्तीसगढ़ मे बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री का पद मिला रमन सिंह को। 2003 से अब तक लगातार तीन बार से रमन सिंह ही मुख्यमंत्री हैं और इस बीच छत्तीसगढ़ के हालात बद से बदतर होते चले गए।

छत्तीसगढ़ आज भी अपनी प्रमुख समस्या यानी नक्सलवाद से जूझ रहा है। अब सवाल उठता है कि रमन सिंह ने 14 साल सरकार चलाने के बाद भी इस समस्या को खत्म क्यों नहीं किया? आज भी क्यों सैनिक नक्सलियों का शिकार हो रहे हैं? क्या सच में रमन सरकार ने कभी पूरी ईमानदारी से इस समस्या को खत्म करने की कोशिश की है? अगर किया होता तो आज ऐसे परिणामों का सामना न करना पड़ता!

छत्तीसगढ़ को बने 17 साल हो चुके हैं, इन 17 सालों में से 14 साल रमन सिंह ने सरकार चलायी है। इतने लम्बे समय तक सरकार चलान के बाद भी रमन सिंह छत्तीसगढ़ के जंगलों में लोकतंत्र स्थापित क्यों नहीं कर सके? क्या वास्तव में छत्तीसगढ़ के जंगलों तक लोकतंत्र पहुंचा है? क्या रमन सिंह ने सत्ता पर कायम रहने के लिए जंगलों तक लोकतंत्र नहीं पहुंचाया?

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