<p>मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से सेना का राजनीतिकरण बहुत ज्यादा बड़ा है। बात-बात पर भाजपा के प्रवक्ता सेना की बात करते हैं। जिस तरह सेना को लेकर भाजपा और उसकी सरकार के लोग सामने आते हैं उससे लगता है मोदी सरकार किसान और युवाओं के लिए न सही लेकिन कम से कम सेना के लिए काम कर रही है। लेकिन हाल ही में आई संसदीय समिति की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयान करती है।</p>
<p>रक्षा क्षेत्र पर आई संसद की स्टैंडिंग समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना को उसकी परियोजनाएं पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से प्रयाप्त फंड ही नहीं दिया जा रहा है। बता दें, कि वर्ष 2018-19 बजट में रक्षा बजट को जीडीपी का 1.58 प्रतिशत हिस्सा ही दिया गया है, जो कि 1962 के बाद रक्षा बजट को दिया गया सबसे कम हिस्सा है।</p>
<p>इसी कारण सेना के पास कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पैसे नहीं हैं| इनमें सीमा सुरक्षा से लेकर हथियारों की कमी और मूलभूत ढाचा तक सभी क्षेत्र आते हैं|</p>
<h2>सेला टनल बनने में देरी</h2>
<p>पूर्व मेजर जनरल की अध्यक्षता में बने संसदीय पैनल के सामने सेना ने अपनी स्तिथि बताई। रक्षा सचिव संजय मित्रा ने पैनल को बताया कि कम बजट के कारण अरुणाचल प्रदेश की ‘सेला टनल’ नहीं बन पा रही है। गौरतलब है कि इस टनल की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की थी। इस टनल से अरुणाचल प्रदेश और तवांग के बीच दूरी एक घंटे कम हो जाएगी। किसी भी मौसम में सेना चीन के बॉर्डर पर तुरंत पहुँच सकेगी।</p>
<h2>सीमा सुरक्षा के लिए फंड की कमी</h2>
<p>एक अन्य सेना अधिकारी ने पैनल को बताया कि सेना को जम्मू-कश्मीर में सीमा पर बने कैम्पों की सुरक्षा के लिए भी प्रयाप्त फंड नहीं मिला है। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से इन कैम्पों पर हमले बढ़े हैं। इन हमलों में कई सैनिक शहीद भी हो चुके हैं।</p>
<h2>हथियारों के लिए प्रयाप्त बजट नहीं</h2>
<p>सेना ने संसदीय पैनल को बताया कि देश में अचानक जंग हो जाने पर 10 दिन लड़ने के लिए भी हथियार नहीं हैं। सेना ने बताया कि उन्होंने हथियारों के लिए 9,980 करोड़ की मांग की थी लेकिन उन्हें 3,600 करोड़ रुपये ही दिए गए। यानि 6,380 करोड़ रुपये सेना को कम दिये गए।</p>
<h2>‘मेक इन इंडिया’ पर भी ध्यान नहीं</h2>
<p>प्रधानमंत्री मोदी जगह-जगह अपने भाषणों में मेक इन इंडिया की बात करते हैं। लेकिन उन्ही की सरकार मेक इंडिया के लये प्राप्त फंड नहीं दे पा रही है। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया का लक्ष्य है कि ज़्यादातर हथियार देश में ही बने जिससे रक्षा बजट का पैसा बचे और देश में टेक्नोलॉजी भी आ सके।</p>
<p>वाईस चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ ने पैनल को बताया कि सेना मेक इन इंडिया के अंतर्गत 25 परियोजनाओं पर काम कर रही है। लेकिन प्रयाप्त फंड न होने की वजह से इसमें से बहुत सी परियोजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं के लिए इतना कम बजट दिया गया है कि इन्हें पूरा होने में वर्षों की देरी हो सकती है।</p>
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