गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद एक बार फिर से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफलाइटिस वॉर्ड के इंचार्ज रहे डॉक्टर कफील खान की ज़मानत को लेकर बहस छिड़ गई है।

दरअसल, समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने गोरखपुर उपचुनाव की जीत को डॉक्टर कफ़ील खान की जीत बताया था। उन्होंने कहा कि यह जीत बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हीरो डॉक्टर कफ़ील खान को समर्पित हो, जिन्हें योगी सरकार ने ख़ुद की नाकामी छुपाने के लिए फंसाया।

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 सितम्बर 2017 को उनकी ज़मानत अर्जी ख़ारिज कर दी थी। तब से वे जेल में बंद हैं। एक ऑनलाइन मीडिया हाउस की रिपोर्ट में भी डॉ कफील को जमानत नहीं दिए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट पर कई लोगों ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

इसी क्रम में गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने एक ट्वीट के ज़रिए कहा, “डॉ कफील को कई बार ज़मानत से वंचित कर दिया गया, जबकि अपराधी आज़ाद घूम रहे हैं। इस देश को अब पूर्ण रक्त-संचार चाहिए। भारत के राजनीतिक ढ़ांचे को सुधार की ज़रूरत है। हमें शासन करने वाले ठगों, लुटेरों और हत्यारों के लिए न्यूरेमबर्ग परीक्षण की ज़रूरत है।


गौरतलब है कि डॉक्टर कफील उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि ऑक्सीजन की कमी के वक्त वह खुद अपनी गाड़ी से अपने दोस्तों और निजी अस्पतालों से ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर बीआरडी अस्पताल पहुंचे थे।

उस वक्त कफील की छवि एक ‘मसीहा’ के तौर पर सामने आई। हालांकि, बाद में कफील पर प्राइवेट अस्पताल चलाने सहित कई गंभीर आरोप लगे। जिसे सरकार की साजिश भी बताया गया।

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