उत्तर प्रदेश में जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर से लोग मर रहे थे, तब उनके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरे राज्यों में चुनावी वादें कर रहे थे।

स्वास्थ्य सुविधाओं का इंतेज़ाम करने के बजाए, खुद उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव करवाया जा रहा था। इसी कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों में कोरोना फैलने से कई लोग मर गए।

मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र, गोरखपुर, के पास स्थित गौनर गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते कोरोना से अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है।

भारत समाचार की खबर के अनुसार, गोरखपुर जिले के गौनर गांव में कोरोना के कारण दो महीने के भीतर 100 मौतें हुई हैं। इसकी वजह केवल कोरोना बीमारी नहीं, बल्कि खराब स्वास्थय व्यवस्था भी है। इस गांव में लगभग पंद्रह हज़ार लोग रहते हैं, लेकिन यहाँ कोई प्राथमिक स्वास्थय केंद्र नहीं है।

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, गोंडा के निंदूरा गांव में कोरोना संक्रमित 22 लोगों की मौत हो गई है। इनके पास कई दिनों तक कोई चिकित्सा सहायता नहीं पहुंची।

ध्यान देने वाली बात है कि कुछ दिनों पहले सरकार ने दावा किया था कि राज्य के 64% गांव कोरोना संक्रमण मुक्त हैं।

सरकार का ये बयान तब आया जब राज्य के ग्रामीण इलाकों से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले सामने आने लगे। जिसके बाद मीडिया ने भी सवाल किए बिना इसको जमकर चलाया।

पहला सवाल कि इन इलाकों में कोई ढंग का स्वास्थ्या केंद्र क्यों नहीं है। दूसरा सवाल कि सरकार कोरोना से संक्रमित हुए लोगों और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ें क्यों छुपा रही है?

शिक्षक संघ का दावा है कि कोरोना महामारी के बीच पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1621 शिक्षकों की मौत हुई है। इसमें एक 8 महीने की गर्भवती महिला भी शामिल है। लेकिन शिक्षामंत्री का कहना है कि केवल 3 मौतें हुई हैं।

इसी तरह से ग्रामीण इलाकों में कोरोना से मरने वाले लोगों का असल आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है। सरकार उन तक समय रहते मदद भी नहीं पहुंच पा रही है।

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