उत्तर प्रदेश में भले ही कुछ दिनों से कोरोना मामलों में कमी देखने को मिल रही है। लेकिन अभी भी कोरोना के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
कोरोना से होने वाली मौतों में भी कटौती नहीं हो रही हैं। राज्य में दिन-रात जल रही चिताए इसके सबूत हैं।
यहां तक कि शवदाह ग्रहों में जगह ना मिल पाने की वजह से लोग अब कोरोना से मरने वाले लोगों की लाशों को नदी में ही बहा रहे हैं। देशभर में सबसे ज्यादा मौतें लोगों को इलाज ना मिल पाने की वजह से हो रही है।
कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर कह चुके हैं कि वह कोरोना महामारी में लोगों को अपनी आंखों के सामने मरता देख लाचार महसूस कर रहे हैं।
अब खबर सामने आई है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 14 सरकारी डॉक्टरों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से ज्यादातर डॉक्टर उन्नाव के ग्रामीण अस्पतालों के प्रभारी हैं।
जिन्होंने आरोप लगाया है कि जिले में कोरोना संक्रमण बढ़ने के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
इन्होंने एक ज्वाइंट रेजिग्नेशन लेटर पर दस्तखत कर दिए हैं। इस्तीफे देने के बाद उन्होंने उन्नाव के चीफ मेडिकल ऑफिसर और उनके डिप्टी को यह लेटर दिया है।
जिसमें डॉक्टरों ने कहा है कि राज्य में कोरोना महामारी में कड़ी मेहनत करने के बावजूद आज उनके साथ बिना किसी आधार पर दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है। बता दें, इन सभी डॉक्टरों ने कोविड-19 व्यू बैठकों से तंग आकर यह कदम उठाया है।
इन सभी डॉक्टरों का कहना है कि उन पर बेवजह दबाव बनाया जा रहा है और उनका वेतन रोक कर परेशान किया जा रहा है। जबकि हम और हमारी टीम 24 घंटे काम कर रही है।
लेकिन फिर भी हमें खुद को साबित करना पड़ रहा है। हमारे बारे में ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि हम काम नहीं कर रहे इसलिए जिले में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।