यूपी की पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये का एक मामला अब बहराइच के मुस्लिम बहुल गांव खैर से सामने आया है। जहां पुलिस ने सांप्रदायिक झड़प के मामले में एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए 200 मुस्लिम युवकों के खिलाफ़ आतंकी धारा (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया है।

पुलिस ने इस मामले में अबतक 19 लोगों को गिरफ़्तार किया है। बाकी लोग पुलिस के ख़ौफ़ से गांव छोड़कर भाग गए हैं।

दरअसल, गांव में 20 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच टकराव हो गया था। इस टकराव में 50 से 60 लोग घायल हुए थे।

इसी मामले को लेकर जुलूस में शामिल आशीष कुमार शुक्ला ने बूंदी पुलिस स्टेशन में मुस्लिम समुदाय के 80 लोगों के खिलाफ नामज़द मुकदमा दर्ज कराया।

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इसके साथ ही 100 से 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई। इन सभी के खिलाफ़ आतंकी धारा (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया गया।

मुस्लिम समुदाय के लोगों पर आरोप लगाए गए कि जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जुलूस गांव से ग़ुज़र रहा था, उस वक्त मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हथियारों के साथ जुलूस पर हमला बोल दिया। जिसमें जुलूस में शामिल हिंदू समुदाय के तकरीबन 60 लोग घायल हो गए।

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हालांकि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इन आरोपों को ग़लत बताया है। मुसलमानों का कहना है कि दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद में गुलाल फेंक दिया था, जिसपर दोनों समुदाय के बीच टकराव हो गया था।

लेकिन पुलिस ने दूसरे पक्ष को सुने बिना ही कार्रवाई शुरु कर दी और दबिश देकर मुस्लिम युवकों को घरों से उठाने लगी। पुलिस की इस दबिश से गांव में दहशत फैल गई। पुलिस के ख़ौफ़ से मुस्लिम समुदाय के युवक गांव छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए।

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मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में एकतरफा कार्रवाई की है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान 63 वर्षीय जैतुना ने कहा, “मुसलमानों और हिंदुओं के बीच झगड़ा हुआ, लेकिन पुलिस ने सिर्फ हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ कोई केस नहीं हुआ, जिन्होंने न केवल पत्थरबाज़ी की बल्कि हमारे घरों और दुकानों को निशाना बनाया”।

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