उत्तर प्रदेश में पुलिस की कस्टडी (police custody) में मौतों की घटनाएं आम बनती जा रही है।

अभी कुछ दिन आगरा के सफाईकर्मी अरुण वाल्मिकी मौत का मामला काफी सुर्खियों में रहा था

अब वैसा ही मामला पड़ोस के जिले कासगंज ( kasganj)  में देखने को मिल रहा है तब सवाल उठने लगे हैं कि, क्या उत्तर प्रदेश में दलित,पिछडे और अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ पुलिस गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव कर रही है ?

उत्तर प्रदेश के कासगंज में 21 साल के अल्ताफ की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पुलिस के दावे में काफी झूठ नजर आ रहे हैं।

पिता का आरोप है कि, उसके बेटे को मारकर लटकाया गया है।

अल्ताफ के पिता चांद ने बताया कि, पुलिस ने अल्ताफ पर लड़की भगाने का आरोप लगाया था जिस वजह से वह खुद जाकर स्थानीय चौकी में अल्ताफ को पुलिस के हवाले करके आते हैं। जहां से उन्हें बाद में भगा दिया जाता है।

लेकिन उसके 24 घंटे बाद उन्हें बताया जाता है कि, अल्ताफ ने फांसी लगाकर जान दे दी है।

वहीं कासगंज एसपी बोथरे रोहन प्रमोद ने अल्ताफ की मौत को एक महज एक घटना बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया है।

एसपी के अनुसार- अल्ताफ ने वॉशरूम में जाकर गले की हुड से डोरी निकालकर नल से फांसी लगाकर जान दे दी। जिस कारण लापरवाही का कारण देखते हुए 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए।

अब सवाल उठता है कि, वाशरूम में लगे नल से कोई फांसी कैसे लगा सकता है ? मामले में जांच ना करते हुए सीधे पुलिसकर्मियों क़ो क्लीन चिट कैसे दे दी गई ?

परिजनों के आरोप को क्यों अनसुना किया गया ? अब अल्ताफ के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच बयां कर सकती है

आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी में मौत के मामले लगातार बढ़े हैं।

 

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