बोलता उत्तरप्रदेश (कानपुर) : इन दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस ( UP POLICE) बेकसूरों-निर्दोष लोगों के साथ इंसाफ करती कम नाइंसाफी करने की वजहों से ज्यादा चर्चाओं में रह रही है।

पुलिस की भूमिका रक्षक यानि जनता की रक्षा-सुरक्षा करने की होती है लेकिन जब इल्जाम और सवाल खुद रक्षा-सुरक्षा करने वालों पर उठने लगें तो क्या कहा जाएगा।

आगरा में सफाई कर्मचारी अरुण वाल्मीकि फिर कासगंज ( Kasganj) में अल्ताफ (Altaf)  की कस्टडी में हुई मौत पर सवाल कम ना थे कि अब कानपुर (Kanpur)  में जितेन्द्र श्रीवास्तव उर्फ कल्लू की मौत ने उत्तर प्रदेश में पुलिसिया व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।

कानपुर के कल्याणपुर थाने की पुलिस चोरी के इल्जाम में 25 वर्षीय जितेन्द्र श्रीवास्तव को गिरफ्तार करती है।

अचानक पुलिस वाले परिजनों को बुलाकर जितेन्द्र को घर ले जाने को बोल देते हैं लेकिन तब तक जितेन्द्र की हालत बहुत ही गंभीर होती है।

जबतक परिजन जितेन्द्र को अस्पताल लेकर जाते वहां पहुंचने से पहले जितेन्द्र दम तोड़ देता है।

वायरल वीडियो में जितेन्द्र के शरीर पर पुलिस की बेरहमी देखी जा सकती है। परिजनों ने आरोप पुलिस पर लगाया है।

लेकिन हमेशा की तरह उत्तर प्रदेश पुलिस हत्यारों के साथ खड़ी नजर आती है। जैसा हाल में कासगंज के अल्ताफ केस में देखने को मिला था।

जानकारी के अनुसार कानपुर पुलिस ने जितेन्द्र की मौत पर केस दर्ज कर लिया है लेकिन यह केस पुलिस कस्टडी में बेरहमी से टॉर्चर करने वाले लोगों पर नहीं बल्कि जितेन्द्र पर चोरी का इल्जाम लगाने वाले पर किया है।

यूपी पुलिस ऐसे मामलों में केस को रफा-दफा करने की जुगत में बड़े से बड़े हास्यास्पद फैसले करती है जिसकी वजह से उसे काफी आलोचना और फजीहत झेलनी पड़ती है।

पहले अल्ताफ केस में 2 फुट की टोटीं वाला प्रकरण अब चोरी का आरोप लगाने वाले पर जितेन्द्र की मौत का मुकदमा।

पुलिस कस्टडी में मौत के मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा कस्टडी में मौत उत्तर प्रदेश में होती हैं।

देश में पिछले 3 सालों में पुलिस हिरासत में 5,569 लोगों की मौत हुई। जिसमें उत्तरप्रदेश में 1,318 मौतें हुई हैं।

कानपुर में हुई जितेन्द्र की मौत पर विपक्ष ने यूपी सरकार पर सवाल उठाए हैं

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समाजवादी पार्टी ने कहा कि, यूपी में शासन-प्रशासन सत्ताधीशों की रैलियों के बंदोबस्त में व्यस्त है, वहीं CM के ‘ठोक दो’ आदेश पर पुलिस नागरिकों की हत्या में लिप्त है।

आपको बता दें कि, गोरखपुर में कारोबारी मनीष गुप्ता की होटल में हत्या पर भी उत्तर प्रदेश पुलिस के दामन पर दाग लगे थे।

जब कानून व्यवस्था ही ऐसा बर्ताव और सुलूक करने पर उतर आएगी तो आम जनमानस न्याय की उम्मीद में कहाँ और किसके पास जाएगा ?

Tag : Kanpur , Jitendra Srivastava, UP Police, Police Custody

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