बोलता हिंदुस्तान: (लखनऊ) नीति आयोग (Niti Aayog) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सबसे अधिक गरीबी के सूचकांक में तीसरे नंबर पर है. सूची के अनुसार बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्य के रूप में उभरे हैं.

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार नंबर एक प्रदेश का दावा करने के प्रचार में करोड़ों खर्च करती आ रही है, लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट (NIti Aayog Report) बीजेपी के नंबर एक प्रदेश का दावा नकारती नज़र आ रही है.

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नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) अपनी रिपोर्ट तीन आयामों शिक्षा, स्वस्थ और जीवन स्तर के आधार पर परिवारों द्वारा सामना किये जाने वाले कई आभावों पर दर्ज करता है.

जिसमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे मानक के आधार होते हैं.

भारत के सबसे गरीब प्रदेश

एमपीआई की सूची के अनुसार बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, इसके बाद झारखण्ड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. सूची में मध्य प्रदेश 36.65 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर पर रखा गया है और मेघालय को 32.67 प्रतिशत के साथ पांचवें नंबर पर है.

भारत के सबसे कम गरीब प्रदेश

केरल (0.71 प्रतिशत), गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत), और पंजाब (5.59 प्रतिशत) सूचकांक के साथ भारत के सबसे कम गरीब प्रदेश हैं. ये सभी राज्य सूची में सबसे नीचे हैं.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत (Bharat) के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) का विकसित होना एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है.

जो बहुआयामी गरीबी की निगरानी करता है, साक्ष्य आधारित और हस्तक्षेपों के बारे में सूचित करता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पीछे रह गया है.

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