भारत में तेजी से फैली कोरोना महामारी के कारण लाखों की तादाद में लोग मर रहे हैं। देश में मौतों का आंकड़ा इस कदर बढ़ रहा है कि कई राज्यों में शवदाह गृह में शवों को जलाने के लिए जगह नहीं मिल रही है।
इसके चलते संक्रमण बढ़ने की डर की वजह से मृतकों के परिवार शव को नदियों में बहाने को मजबूर हो रहे हैं।
सरकार और प्रशासन के लोगों पर भी आरोप है कि अंतिम संस्कार करने के बजाय सैकड़ों की संख्या में लाशों को नदियों में फेंक दे रहे हैं। बीते दिनों सोशल मीडिया पर नदियों में बहाए गए शवों की तस्वीरें भी सामने आ चुकी है।
बताया जाता है कि कई राज्यों में शवों को जलाने के लिए नए शवदाह गृहों का निर्माण भी किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी लोगों को मृतकों को जलाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में कई नदियों में अचानक शव मिलने से सनसनी मची हुई है।
इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “गंगा में तैरती हुई लाशें एक आँकड़ा नहीं हैं, वे किसी के पिता, माता, भाई और बहन हैं। जो कुछ हुआ है, वो आपको अंदर तक हिला देता है। उस सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए जो अपने लोगों को इतनी बुरी तरह से निराश कर चुकी है।”
इससे पहले अखिलेश यादव ने यूपी की योगी सरकार पर भी हमला बोला है।
उन्होंने डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना महामारी के प्रबंधन के लिए योगी सरकार द्वारा किए जा रहे दावे पर कहा है कि सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कई नैतिक और अनैतिक रास्ते अपनाने से भी नहीं हिचक रही है।
अखिलेश यादव ने कहा था कि आंकड़ों में हेराफेरी कर डब्ल्यूएचओ से वाहवाही बटोर रही योगी सरकार को गंगा में बह रहे शवों और श्मशान घाटों में जल रही चिताओं से कोई दर्द नहीं होता है।
बेहतर होगा कि इधर-उधर की बातें करने की जगह सरकार यह बताए कि देश के गरीब तबके तक कोरोना वैक्सीन कब तक पहुंचेगी?