उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर ‘69000 शिक्षक भर्ती घोटाले’ के खिलाफ अभ्यर्थियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।

लेकिन सरकार अभ्यर्थियों की समस्या सुनने के बजाए उनके ऊपर पुलिसिया कार्यवाई करवा रही है। प्रदर्शनकारियों को पुलिस द्वारा पीट-पीटकर भगाने की कोशिश की गई।

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव लिखते हैं, “उप्र में उपमुख्यमंत्री के आवास के बाहर ‘69000 शिक्षक भर्ती’ के अभ्यर्थियों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई अति निंदनीय है।

जीवन के सबक याद करानेवाले शिक्षक भाजपा सरकार द्वारा किया गया ये अपमान व उत्पीड़न कभी नहीं भूलेंगे।
क्या यही है ‘विश्व गुरु’ बनने की राह।”

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इस घटना की निंदा कर कहा है, “यूपी में मंत्री के भाई को घर बुलाकर नौकरी दी जाती है। न सर्टिफिकेट जांचा जाता है, न अन्य ब्यौरा।

लेकिन शिक्षक भर्ती के युवा जब उप मुख्यमंत्री जी को सामाजिक न्याय के प्रावधानों संबंधित अपनी बात सुनाने पहुंचे तो उनको घसीटा जा रहा है।

भाजपा चुनाव के पहले युवाओं से खूब चिकनी-चुपड़ी बातें करती थी। लेकिन अब उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है।”

लगभग 1 महीने पहले ख़बर आई थी कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण में घोटाले की आशंका जताई है।

आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति का घोर उल्लंघन हुआ है और 5844 सीटों पर गड़बड़ी पाई गई है।

हैरानी की बात ये है कि खुद को पिछड़े का नेता बताकर वोट मांगने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आवास के सामने जब पिछड़े समाज के लोग अपने हक की आवाज उठाने आते हैं तो उनको घसीटा जाता है, पीटा जाता है।

और चुनाव के समय इन्हीं पिछड़ों को लुभाने के लिए तमाम राजनीतिक दांव खेले जाते हैं। केशव मौर्य से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी अपनी जाति बताने लगते हैं।

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