कोरोना की दूसरी लहर में देश और खासकर उत्तर प्रदेश के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं, लोग एंबुलेंस बिना सड़कों पर मर रहे हैं ऑक्सीजन बिना अस्पतालों में मर रहे हैं और सरकार समस्या को समस्या मानने को तैयार नहीं है।

भले ही देश की इस दुर्दशा की तस्वीरें पूरी दुनिया में देखी जा रही हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसे सरकार की नाकामी कह रही हो।

देश में कथित मुख्यधारा की मीडिया ने तो जनता की बात करना कबका छोड़ दिया था मगर सोशल मीडिया पर तमाम लोग शिकायतें लिख रहे हैं, आपस में मदद मांग रहे हैं।

इसपर भी सरकार ने नजरें टेढ़ी कर रखी है और शिकायत लिखने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रही है।

योगी सरकार की इन्हीं हरकतों को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसा है।

उन्होंने लिखा है- “भाजपा सरकार की बदइंतज़ामी की वजह से कोरोना मौतों की ख़बरें दुनिया भर के प्रतिष्ठित अख़बारों-पत्रिकाओं में छपने से हमारे देश की वैश्विक छवि बहुत धूमिल हुई है। सरेआम झूठ बोलने वाले लोग अब क्या उन प्रकाशनों की संपत्ति जब्त करेंगे या उन पर रासुका लगाएंगे।”

दरअसल, अंतराष्ट्रीय मीडिया में भारत में कोरोना मामलों की तेज़ी और उनसे होने वाली मौतों के चर्चे हैं।

अमेरिका की प्रसिद्ध ‘टाइम’ मैगज़ीन के कवर पेज पर भारत के श्मशान में जल रही लाशों की तस्वीर है, तस्वीर के साथ लिखा है- ‘इंडिया इन क्राइसिस’।

ब्रिटेन के बीबीसी न्यूज़ में भारत में “चौबीसों घंटे” होने वाले सामूहिक दाह संस्कार की खबर छपी है। ‘द गार्डियन’ हो या ‘रायटर्स’, सब जगह भारत में कोरोना महामारी से मचे हाहाकार की खबरें हैं।

दरअसल कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारीयों को सोशल मीडिया पर “अफवाहें” फैला कर “माहौल खराब करने वालों पर “राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम” (रासुका) के तहत एक्शन लेने को कहा था।

इसी पर अखिलेश ने कहा कि क्या अंतराष्ट्रीय प्रकाशनों की “संपत्ति जब्त करेंगे या उन पर रासुका लगाएंगे”?

केवल अंतराष्ट्रीय मीडिया ही नहीं, देश की जनता सोशल मीडिया पर भी सरकार से सवाल कर रही है, अपनी आपबीती सुना रही है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसपर केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं लगनी चाहिए।

जनता अगर अपने द्वारा झेली जा रही मुसीबतों के बारे में लिखती है तो उसे गलत जानकारी नहीं ठहराया जा सकता। अगर सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत लिखने को लेकर किसी पर एक्शन लिया गया, तो उसे ‘कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट’ माना जाएगा।

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