अपनी हर आलोचना को राष्ट्रवाद के नाम पर नकारने वाली मोदी सरकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खेल रही है। राफेल सिर्फ शुरुआत है, अब तक प्रधानमंत्री मोदी ने देश की सुरक्षा अपने करीबी उद्योगपति अनिल अम्बानी के कमज़ोर हाथों में सौप दी है।

राफेल के अलावा ये सरकार अनिल अम्बानी को कई रक्षा सौदे दे चुकी है जिसमें से एक है 20,000 करोड़ रुपए का ‘एमबीफियास प्लेटफार्म’ का ठेका। ‘एमबीफियास प्लेटफार्म’ उन वाहनों के नीचे लगाया जाता है जो पानी में चलते हैं। समुंद्री जहाज़ के अलावा ये पानी में चलने वाले टैंकों में भी लगाया जाता है।

इस रक्षा समझौते में भी मोदी सरकार ने राफेल विमान समझौते की तरह सरकारी कंपनी से छीनकर ठेका अनिल अम्बानी की कंपनी को दिया है।

यूपीए सरकार ने इसके लिए 2013 में ठेका निकाला था जिसमें चार ‘एमबीफियास प्लेटफार्म’ बनाने के लिए सरकारी कंपनी ‘हिन्दुस्तानी शिप्यार्ड्स’ और एक निजी कंपनियों को चुना गया था। लेकिन 2017 में मोदी सरकार ने पुराने समझौते को रद्द कर चारों एमबीफियास प्लेटफार्म का ठेका दो निजी कम्पनियों को दे दिया। ये कम्पनियाँ हैं ‘लार्सेन एवं टब्रो’ और ‘रिलायंस डिफेन्स सिस्टम’ जो कि अनिल अम्बानी की कंपनी है। इस समझौते में पहले शामिल सरकारी कम्पनियाँ ‘हिंदुस्तान शिप्यार्ड्स’ को समझौते से बाहर कर दिया गया।

ये समझौता मोदी सरकार ने अपनी नई रक्षा नीति की बदौलत जो इन्होने उद्योगपतियों को खुश करने के लिए अपनाई है। इसके लिए इस सरकार ने मौजूदा रक्षा नीति में बदलाव किया है। इन्होने ‘रक्षा खरीद नीति 2016’ में ‘रेविटालाईसिंग डिफेन्स इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम थ्रो स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ के नए नियम को जोड़ा। इसका मतलब है निजी कंपनियों को रक्षा सौदों में शामिल करना।

देश छोड़कर भाग सकता है अंबानी, रवीश बोले- जिसपर विदेशी कंपनी को भरोसा नहीं, उसे मोदी ने राफ़ेल दे दिया

इसके बाद से ही मोदी सरकार ने निजी कंपनियों को सीधा रक्षा खरीद के ठेके देना शुरू कर दिए। इन सभी सौदों में कंपनियों के नाम बदले हैं लेकिन एक कंपनी हर सौदे में मौजूद रही है वो है अनिल अम्बानी की रिलायंस। जबकि अनिल अम्बानी बुरी तरह कर्जे में डूबे हुए हैं। उन पर 45000 करोड़ रुपए का कर्जा है।

हालत ये है कि हाल ही में एरिक्सन नाम की एक कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ याचिका दायर कर दी थी। क्यों अनिल अम्बानी की कंपनी को एरिक्सन को 550 करोड़ रुपए चुकाने हैं जिसे उसने वक्त रहते नहीं दिया। इसलिए एरिक्सन ने आशंका जताई थी कि हो सकता है कि अनिल अम्बानी भी विजय माल्या और नीरव मोदी की तरह देश छोड़कर भाग ना जाए।

जिस व्यक्ति की छवि बाज़ार में इतनी ख़राब हो चुकी है उसे सरकार हज़ारों करोड़ के रक्षा सौदे देकर देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है।

 

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here