बेरोजगारी का पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। मोदी सरकार में युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत हो गई है। लोकसभा चुनाव में कई वादों में से एक वादा था बढ़ती बेरोजगारी पर लगाम लगाकर रोजगार की रफ़्तार बढ़ाने का मगर हर साल दो करोड़ नौकरी का वादा जुमला साबित हुआ है।

दरअसल अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सतत रोज़गार केंद्र से एक रिपार्ट आई है। इस अध्ययन का नाम स्टेट ऑफ़ वर्किंग इंडिया, 2018 (एसडब्ल्यूआई) है। भारत में कई सालों तक बेरोज़गारी दर दो या तीन प्रतिशत के आसपास रहने के बाद साल 2015 में अचानक पांच प्रतिशत पर पहुंच गई। इतना ही नहीं युवाओं में बेरोज़गारी की दर 16 प्रतिशत है

ये रिपोर्ट ये भी कहती है कि निजी क्षेत्रों में काम कर रहे लोग बहुत कम वेतन में गुजारा करने पर मजबूर हैं। 82 प्रतिशत पुरुष और 92 प्रतिशत महिलाएं प्रति माह 10,000 रुपये से भी कम कमा पा रहे हैं।

वहीं इस मामले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘प्रतिवर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार के राज में बेरोजगारी दर 20 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है।

केंद्र सरकार तमाम सेक्टरों में रोजगार सृजन के दावे कर रही है, लेकिन ये तमाम दावे खोखले साबित हुए हैं। यह बेहद गंभीर है कि युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 फीसद तक पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ नौकरियों के सृजन की रफ्तार धीमी है इंडस्ट्री में मैन पावर में कटौती हुई है। मोदी सरकार ने देश के युवा के साथ विश्वासघात किया है।’

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