मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को खुला पत्र लिखने वालों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है। मगर अभी तक मोदी सरकार या फिर बीजेपी की तरफ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

50 मशहूर हस्तियों ने अपने देश के प्रधानमंत्री से अपील की थी वो लिंचिंग जैसी घटना पर सिर्फ निंदा ना करें बल्कि उसपर सख्त से सख्त एक्शन लें मगर बदले में उन्हें राजद्रोह का आरोप झेलना पड़ा।

अब दलित-मुसलमानों की आवाज़ उठाने वालों पर राजद्रोह का मुकदमा, क्या भारत में सब ठीक है?

इस मामले पर पत्रकार बरखा दत्त ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है। बरखा लिखती है कि उन सभी के खिलाफ एफआईआर, जिन्होंने लिंचिंग पर पीएम को एक खुला पत्र लिखा था, अगर यह एक न्यायाधीश द्वारा आदेश नहीं दिया गया होता तो यह मजाक होता।

उन्होंने कहा कि सरकार को सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह इससे सहमत नहीं है। यदि केवल हम इस कुरूपता को उन लोगों के खिलाफ एफआईआर में देखते हैं जो ह त्या करते हैं और मारते हैं।

वहीं पीएम मोदी को खुला पत्र लिखने वाली 50 हस्तियों में शामिल फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने पर हैरानी जताई है।

जिसमें उन्होंने कहा है कि इस ‘मामले’ का कोई मतलब नहीं बनता है क्योंकि भीड़ की हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया खुला पत्र महज अपील था न कि कोई धमकी। मुजफ्फरपुर में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

FIR पर बोले श्याम बेनेगल- PM मोदी से सिर्फ लिंचिंग रोकने की अपील की उन्हें कोई धमकी नहीं दी

बता दें कि रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वकील सुधीर ओझा ने इस मामले पर कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने बीते 20 अगस्त को ही याचिका स्वीकार कर ली थी। मगर अब जाकर सदर पुलिस स्टेशन ने FIR दर्ज की है। रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वकील का आरोप है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री मोदी के छवि ख़राब की है।

वहीं इस मामले पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने की तरफ से कहा गया है कि FIR भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं।

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