देश की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था की भले ही मोदी सरकार और केंद्रीय मंत्री चिंता न करें लेकिन, जीडीपी को लेकर आ रहे आकड़ें जरुर चिंता में डालने वाले हैं। कभी 7.8 फीसदी पर रही भारत की जीडीपी अब महज 5 फीसदी पर आकर अटक गई है। जिसका असर तमाम सेक्टरों में देखने को मिल रहा है। ऑटो सेक्टर, औंधे मुँह 23 साल के सबसे निचले स्तर पर चला गया है।
बजाज ऑटो, मारुती सुजुकी, अशोक लीलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एल एंड टी (लार्सेन एंड टर्बो) जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन को कुछ दिनों के लिए रोक दिया है। इसका खामियाजा कंपनियों को तो भुगतना ही पद रहा है साथ ही इससे जुड़े जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। बल्कि कई कंपनियों ने अपने यहां से लोगों की छटनी करने का ऐलान कर दिया है।
सालाना 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने युवाओं को निराश किया है। नई नौकरियां आ नहीं रही हैं, ऊपर से सरकार की गलत नीतियों की वजह से प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां जाने का खतरा बना हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक ऑटो सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जाने के आसार हैं और बिस्कुट बनाने वाली पारले कंपनी ने 10 हजार लोगों को नौकरी से निकलने का ऐलान किया है।
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हैरानी तब होती है जब पूर्व प्रधानमंत्री और विश्व के दिग्गज अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने जब मोदी सरकार में गिरती देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आगाह किया तो, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मनमोहन सिंह की बात को दरकिनार कर दिया!
मनमोहन सिंह ने कहा था कि, “5% GDP ग्रोथ रेट दिखाती है कि हम एक लंबी मंदी के दौर में हैं। भारत में इससे ज्यादा तेजी से विकास करने की क्षमता है। मोदी सरकार की चौतरफा कुप्रबंधन से देश में मंदी छाई है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मात्र 0.6 फीसदी की ग्रोथ है जो बहुत ही चिंताजनक है। ये बदहाली नोटबंदी और जीएसटी के गलत फैसलों से आई है। घरेलु मांग और वस्तुओं के उपयोग में भारी गिरावट है। व्यवसासियों के साथ जबरदस्ती करके टैक्स वसूला जा रहा है। इस तरह से अर्थव्यवस्था में सुधार के कम आसार दिख रहे हैं।”
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मनमोहन ने आगे कहा था कि, “मोदी सरकार की नीतियों के चलते नौकरियां ख़त्म हो रही हैं। सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर में साढ़े तीन लाख लोग नौकरी से निकाल दिए गए। असंगठित सेक्टर में बड़े स्तर पर रोजगार ख़त्म हो रहे हैं। ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है। वहीं किसानों को फसलों के दाम नहीं मिल रहे और आय में गिरावट आई है। हमारे युवा-किसान, मजदूर और उद्यमी इससे बेहतर स्तिति के हक़दार हैं। ऐसी बदहाली को भारत ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पायेगा। इसीलिए मोदी सरकार से आग्रह है कि बदले की राजनीति छोडें।”
देश में इतनी तंगी होने के बाद भी भाजपा के वरिष्ठ नेता बरेली से सांसद और मोदी सरकार में रोजगार देने वाले अहम मंत्रालय का जिम्मा संभल रहे केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार कह रहे हैं- “देश में नौकरी की कमी नहीं है, बल्कि देश में योग्य लोग नहीं हैं।” ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या मोदी सरकार में नौकरियों की भरमार है? नौजवान ही अयोग्य हैं जो नौकरी नहीं ले पा रहे हैं?
गौरतलब है कि जिन उत्तर भारतीयों को मंत्री जी ने अयोग्य बताया है उन्हीं के समर्थन से आज केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी है, उत्तर भारत में NDA को 200 से ज्यादा सीटें मिली हैं।