जब कोई राजनेता सांसद, विधायक या मंत्री पद की शपथ लेता है तो कहता है कि मैं बिना किसी भय,राग,द्वेष और पक्षपात के अपने कर्तव्यों पर श्रद्धापूर्वक निर्वहन करुंगा।
एक आदर्श लोकतंत्र का मापदंड भी यही है कि चुनाव में किसने वोट दिया, किसने नहीं दिया… इन सब की परवाह किए बगैर जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र का विकास करते हैं लेकिन शायद यूपी के शाहजहांपुर जिले की कटरा सीट से भाजपा के विधायक वीर विक्रम सिंह पर लागू नहीं होती है।
विधायक वीर विक्रम सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव नगला में वन महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए हुए थे। यहां पर लोगों ने उनसे कहा कि विधायक जी हमारे गांव में अभी तक बिजली नहीं आई है।
इस पर विधायक ने कहा कि इस गांव में मुझे वोट नहीं मिलता। आपके क्षेत्र में मैंने पर्याप्त समय भी दिया और पर्याप्त काम किया, फिर भी आप लोग स्वयं जानते हैं कि इस गांव में भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं मिलता।
विधायक ने कहा कि मेरे से जो भी हो सकता था, मैंने सब वो काम किया, मेरे पास जो भी आया.. मैंने हर संभव उनकी मदद का प्रयास किया।
इस पर ग्रामीणों ने कहा कि हां पर लाइट नहीं आई अभी तक… इस पर विधायक का जो जवाब आया वो लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला था।
उन्होंने कहा कि ये बताओ कि आपके यहां से वोटें हमें कितनी मिली. गंगा मां की कसम खाकर बताओ कि कितने वोटें तुम लोगों ने हमें दी है.. अपने बेटे के सिर पर हाथ रखकर कसम खाओ कि तुमने हमें वोट दिया है।
विधायक के अनुसार अपेक्षा तो उससे की जाती है, जिसे आप वोट देते हैं. विधायक ने आगे कहा कि कोई भी काम में आप हमें बेवकूफ बनाने का प्रयास न करें।
हमारे पिताजी चार बार विधायक रहे हैं। हम विधायक हैं अभी। हमारे पास बूथ वार आंकड़ा होता है कि किसने हमें वोट दिया और किसने नहीं दिया! ऐसे थोड़े ही विधायक बनें हैं हम।
इसके बाद विधायक ने और हैरत में डालने वाला बयान देते हुए कह दिया कि अच्छा चलो तुम, कसम खा जाओ कि तुमने हमें वोट दिया है, हम तुम्हें लाइट दे देंगे ! तुम अपने लड़के की कसम खा लो, हम आज तुम्हारे यहां लाइट लगवा देंगे !
विधायक के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तो लोगों ने विधायक को खूब खरी खोटी सुनाई. निश्चित तौर पर विधायक का यह बयान और व्यवहार लोकतंत्र विरोधी है। हर जनप्रतिनिधि को अपने राजधर्म का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होता है।