कमलनाथ सरकार के राज में बेरोज़गारी कम हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 9 महीनों में राज्य में बेरोज़गारी 40 प्रतिशत कम हुई है। इन 9 महीनों में मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी।

ध्यान देने वाली बात है कि दिसंबर 2018 तक मध्य प्रदेश की बेरोज़गारी दर 7 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के मुताबिक, यही सितम्बर 2019 तक गिरकर 4.2 प्रतिशत हो गई। ये वही समय था जब देश की बेरोज़गारी दर 8.1 प्रतिशत तक पहुँच गई। इसका मतलब ये है कि कमल नाथ की सरकार बेरोज़गारी से लड़ने में सफल हुई है। वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार इससे लड़ नहीं पा रही।

इसपर असम से कांग्रेस सांसद प्रद्युत ने ट्वीट कर लिखा, “जहाँ भाजपा अपना झूठा प्रोपेगंडा फैलाने में व्यस्त है, वहीँ कांग्रेस अपने वादे पूरे करने में व्यस्त है।”

कमल नाथ सरकार 9 महीनों में ही बेरोज़गारी को 40 प्रतिशत कम करने में सफल रही है। श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भाजपा को हिदायत देते हुए कहा कि- केंद्र सरकार को उनकी सरकार से कुछ सीखना चाहिए।

उनका कहना है कि उनकी सरकार ने सेल्फ-एंटरप्राइज के साथ साथ कौशल विकास पर भी काम किया है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, रोजगार के मौके सिर्फ सरकारी नौकरी से नहीं बनते। निवेश आने से रोजगार के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं।”

लेकिन भाजपा ने इसके लिए भी खुद को ही श्रेय दिया। उनके हिसाब से केंद्र सरकार के फैसलों की वजह से ही मध्य प्रदेश में बेरोज़गारी कम हुई है। सवाल उठता है कि फिर केंद्र सरकार की कोशिशें देश भर में बेरोज़गारी को कम क्यों नहीं कर पाई?

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