उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर धर्म के मुद्दे पर राजनीति की जानी शुरू हो गई है।
बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर काफी चर्चा बनी हुई है। जिसके चलते कई मामले भी दर्ज किए गए हैं।
इसी बीच हिंदूवादी संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है।
एक किताब के विमोचन के मौके पर पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू मुस्लिम एकता और देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
मोहन भागवत ने इस मौके पर कहा है कि देश के लोगों का डीएनए एक है। फिर चाहे वह किसी भी धर्म से क्यों ना जुड़े हुए हो। बीते 40 हजार साल से भारतीयों के पूर्वज एक ही हैं।
भारत में मुसलमानों को डर के साथ नहीं रहना चाहिए। अगर कोई हिंदू शख्स किसी मुसलमान कोई यह कहता है कि उन्हें यहां नहीं रहना चाहिए। तो वह शख्स हिंदू नहीं हो सकता।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए इस बयान पर लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। उन्होंने एक साथ तीन ट्वीट कर मोहन भागवत पर निशाना साधा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा है कि “RSS के भागवत ने कहा “लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी”। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।”
आगे लिखा- केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है। अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है। आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है।
जहाँ भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि “क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?” कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।
वहीं धर्मगुरु और कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने मोहन भागवत से पूछा- “नफ़रत फैलाने वालों का “DNA” भी बता दो मोहन जी”
नफ़रत फैलाने वालों का “DNA”
भी बता दो मोहन जी.— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) July 5, 2021
गौरतलब है कि साल 2014 में जब मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में आई थी। तो उसके बाद से ही देश में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं देखी गई। गौ रक्षा के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाया जाने लगा।
इसके साथ ही हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा मुसलमानों को देशभक्ति साबित करने के नाम पर कई बार प्रताड़ित किया गया है।