गोरेगांव स्थित आरे कॉलोनी (Aarey Colony) में मेट्रो कार शेड के लिए 2700 पेड़ काटने का काम शुरू हो गया है। पेड़ काटने का विरोध कर रहें कई आदिवासी और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ आमजन भी इसके विरोध में उतर आए है।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजाेग और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने आरे कॉलोनी से जुड़ी एनजीओ और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चार याचिकाएं खारिज करने के बाद से अबतक 200 पेड़ काटे जा चुके है।

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इस मामले पर कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा (Milind Deora) ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- आरे में पेड़ों की क्रूर कटाई मुंबई के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि यह अपने फेफड़ों में बार-बार छुरा घोंपने जैसा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब शहर समुद्र तट और हरे आवरण को नष्ट करता तो वो प्रलय के दिन के और करीब जाता है।

वहीं इस मामले पर बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना विरोध प्रदर्शन कर रही है। आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के अधिकारियों को पीओके भेजा जाना चाहिए ताकि वे पेड़ काटने के बजाए वहां आतंकी ठिकानों को नष्ट कर सकें।

बता दें कि हाईकोर्ट का ये फैसला उन लोगों के लिए एक झटका था जो 2,700 पेड़ों की प्रस्तावित कटाई का विरोध कर रहे थे और उन्होंने डिपो के स्थानांतरण की मांग की थी, जो मेट्रो परियोजना का हिस्सा है।

हाईकोर्ट ने आरे को एक जंगल के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया, जिससे अधिकारियों को मुंबई मेट्रो के लिए एक शेड के निर्माण के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति मिल गई। कोर्ट के फैसले के बाद शुक्रवार रात करीब 200 पेड़ काटे जा चुके हैं।

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