अगर दलितों शोषितों वंचितों पर अत्याचार पिछले पांच सालों में बढ़े ना होते तो प्रधानमंत्री मोदी को नेहरू के विचारधारा को अपनाने की मजबूरी ना होती। चुनावी मंचों पर पाकिस्तान को पानी पी पीकर कोसने वाले और सबक सिखाने की बात करने वाले PM मोदी अपने यूएन के भाषण में विनम्र देखें।
वो लगातार आतंकवाद के खात्मे का नाम तो लेते रहे मगर पाकिस्तान का नाम अपनी जुबा पर नहीं आने दिया। मोदी ने अपनी सीमा सुरक्षा पर बड़ी ही सुलझी बातें कही। भाषण के पहले हिस्से में अपनी वाहवाही भी की मगर फिर भारत की डायवर्सिटी और अनेकता में एकता जैसी बातें कही।
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इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक राष्ट्र एक भाषा की उठती मांग को भी एक झटके में तब फटकार दिया। जब उन्होंने तमिल में कवि कनियन पुंगुदरनार के प्रसिद्ध उद्धरण ”याधुम ऊरे यावरुम केलिर” का हवाला देते हुए कहा कि सीमा से इतर संबंधों की यह समझ भारत की विशिष्टता है। तमिल कवि की इस उक्ति का आशय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से है।
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पहला हिस्सा तो बड़े चैनो अमन की बातों में गुज़रा मगर जैसे ही बात भारत की आईं उन्होंने युएन मंच का पूरा फायदा उठाते हुए सिर्फ आखिर दम तक लड़ने तक की बात कहकर अपनी बात खत्म की इस दौरान उन्होंने कश्मीर का मामला तो उठाया मगर चीन में मुसलमानों पर हो रहे जुर्म पर चुप्पी साधी रखी।
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मगर प्रधानमंत्री मोदी और उनसे जुड़ा संगठन जिस विचारधारा का समर्थन करता है वैसा भाषण प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं दिया। बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पीएम मोदी का नाम लेकर उनकी आलोचना करते रहें। इस दौरान पाक पीएम ने गुजरात दंगों का ज़िक्र किया मगर ये यूएन में भारत की परंपरा थी जिसे मोदी ने तोड़ा नहीं और सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास जैसे नारे पर ही टिके रहें।
कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के भाषण पर गोडसे की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को गॉधी भी दिया है तो भारत में किसी ने गोडसे दिया है ये पब्लिक है सब जानती है।
भारत ने
दुनिया को गॉधी भी दिया है
तो भारत मे
किसी ने गोडसे दिया हैये पब्लिक है
सब जानती है https://t.co/dbeuzOGrMT— Akhilesh P. Singh (@AkhileshPSingh) September 28, 2019
राजनीतिक समीक्षकों और आलोचकों ने भी पीएम मोदी के भाषण के बदलाव पाया है। अब भले ही यूएन में भारत-पाकिस्तान में बात ना हुई हो मगर भाषणों में इतना बदलाव साफ़ हो चुका है कि फिलहाल तो दोनों देशों के बीच तनाव कम होने वाला नहीं है।