शायद कांग्रेस अब इस बात को समझ गई है कि भाजपा को अगर चुनाव में रोकना है तो फिर भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकना होगा, तमाम विपक्षी दलों को एक साथ लाना होगा।
288 विधानसभा सीटों वाली महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी का सीट बंटवारा देखकर तो यही लगता है।
दरअसल दोनों पार्टियों ने 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है साथ ही 38 सीटें अन्य सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई है।
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गठबंधन सहयोगियों का बराबर सीट बंटवारा करना और अन्य दलों के लिए सीट छोड़ना यह दिखाता है कि यूपीए इस बार बीजेपी विरोधी वोटों का बिखराव रोकना चाहती है। फिर चाहे वह प्रकाश आंबेडकर और ओवैसी के नेतृत्व में खड़ा हुआ नया राजनीतिक विकल्प हो या फिर राज ठाकरे के धुआंधार प्रचार से बना हुआ नया माहौल। दोनों या फिर 2 में से कोई एक खेमा इस गठबंधन में शामिल हो सकता है।
अगर कांग्रेस और एनसीपी बहुजन वंचित आघाडी के साथ हाथ मिलाते हैं तो निश्चित ही उन्हें बड़ी सफलता मिलेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तब भी ओवैसी और प्रकाश अंबेडकर की जोड़ी सफल दिखती है। एनडीए के पक्ष में बने इस माहौल के दौर में भी दलित-मुस्लिम एकता के उद्देश्य से बने इस फ्रंट को 14% वोट मिले।
अगर आगामी विधानसभा चुनाव में यह सब एक साथ मिलकर लड़ेंगे तो फिर सत्ता परिवर्तन के एक बड़ा मौका मिल सकता है।