जीडीपी के बाद अब कोर सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त महीने में आठ कोर सेक्टर्स की विकास दर रिपोर्ट में भारी गिरावट देखने को मिली है। अगस्त महीने में 8 कोर सेक्टर्स की ग्रोथ घटकर 0.5 प्रतिशत पर आ गई है। जबकि जुलाई महीने में यह ग्रोथ 2.1 फीसदी थी। पिछले साल अगस्त में ये विकास दर 4.7 प्रतिशत थी।
आठ कोर सेक्टर में कोयला, क्रूड, ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी आते हैं। इनकी भारत के कुल इंडस्ट्रियल आउटपुट (औद्योगिक उत्पादन) में करीब 40 फीसद हिस्सेदारी होती है। पिछले साल की तुलना में इस साल आठ कोर सेक्टर्स की विकास दर में करीब 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जिसे अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त महीने में कोयला, कच्चा तेल, प्रकिृतिक गैस, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी में क्रमश: 8.6 फीसदी, 5.4 फीसदी, 3.9 फीसदी, 4.9 फीसदी और 2.9 फीसदी की नाकारात्मक ग्रोथ रेट दर्ज की गई है। वहीं उर्वरक, स्टील प्रोडक्शन सेक्टर में 2.9 फीसदी और 5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है।
सरकार की ओर से कोर सेक्टर में सुधार के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। जुलाई में आठ कोर सेक्टर की विकास 2.1 प्रतिशत थी, जिससे एक उम्मीद जगी थी कि आगे सुधार देखने को मिलेगा। लेकिन अब अगस्त के आंकड़ों ने अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया है। वहीं इससे पहले जून महीने में 8 प्रमुख उद्योगों की ग्रोथ घटकर 0.2 प्रतिशत रही थी। उस वक्त कोर सेक्टर में गिरावट की अहम वजह ऑयल के दाम में उछाल और सीमेंट उत्पादन में भारी सुस्ती बताई गई थी।
ऐसा माना जा रहा है कि इस हफ्ते के अंत में अपनी नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती के लिए यह कोर सेक्टर डेटा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को प्रेरित कर सकता है। जून तिमाही में निजी अंतिम उपभोग व्यय वृद्धि घटकर 3.1% हो गई – 18 तिमाहियों में सबसे धीमी- विकास दर का समर्थन करने के लिए RBI पर नीतिगत दरों में कटौती का दबाव होगा।