वित्त मंत्री के पति बोले- देश को संकट से बचाने के लिए मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को अपनाए जाने की ज़रूरत है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भले ही आर्थिक मंदी की खबरों से इनकार कर रही हों, लेकिन उनकी पति और आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व संचार सलाहकार पराकला प्रभाकर का मानना है कि देश इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ में एक लिख लिखकर प्रभाकर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और इसे सुधारने के लिए सरकार की तरफ़ से जरूरी कदम उठाए जाने की ज़रूरत है। लेकिन सरकार इस संकट से निपटने के लिए कोई रोडमैप नहीं पेश कर पाई है।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री के पति ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि अगर सरकार इस संकट से निपटना चाहती है तो उसे पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह सरकार के आर्थिक मॉडल को अपनाना होगा।
प्रभाकर ने कहा कि पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के द्वारा उठाये गए कदम का अब भी कोई जवाब नहीं है। लगभग हर पार्टी जो सरकार बनाती है या फिर सरकार का हिस्सा बनती है, या सरकार को बाहर से समर्थन देती है, वह उस दृष्टिकोण को अपनाती है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार भले ही आर्थिक संकट की बात से इनकार रही है, लेकिन जो भी डाटा सामने आ रहे हैं वह दिखाते हैं कि एक सेक्टर के बाद दूसरा सेक्टर लगातार चुनौतीपूर्णा हालात का सामना कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि बीजेपी की एक मुश्किल ये है कि वह कारणों को मानना नहीं चाहती है।
प्रभाकर ने कहा कि समाज के नेहरूवादी समाजवाद को अस्वीकार करने की नीति भारतीय जनसंघ के दिनों से ही रही है। आर्थिक नीति के तौर पर पार्टी ने केवल ‘नेती नेती’ (ये नहीं, ये नहीं) की नीति अपनाई है लेकिन ये कभी नहीं बताया कि उसकी अपनी नीति क्या है।’
उन्होंने अपने लेख में इस बात का भी ज़िक्र किया कि बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने के अभियान में अर्थव्यस्था का रोड मैप हिस्सा ही नहीं था।
उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों ने पार्टी को केंद्र और देश के कई दूसरे राज्यों में सत्ता पर पहुंचाया, उनका अर्थव्यवस्था के रोड मैप और फिर उसके लागू होने से शायद ही कोई रिश्ता रहा है।