योगी आदित्यनाथ ने नेतृत्व में उत्तर प्रदेश, एनकाउंटर प्रदेश बन चुका है। बेलगाम यूपी पुलिस ने एक और हत्या कर दी है। घटना राजधानी लखनऊ के VIP इलाके की है। शुक्रवार रात दफ्तर से घर लौट रहे विवेक तिवारी को पुलिस ने अपनी गोली का निशाना बनाया।

विवेक तिवारी की पहचान एप्पल के एरिया मैनेजर रूप में हुई है। दरअसल 28 सितंबर की रात एप्पल के नए फोन की लॉन्च थी। विवेक इस लॉन्चिंग इवेंट से वापस लौट रहे थे। उनके साथ एक महिला सहकर्मी भी थी, जिसे वो घर छोड़ने जा रहे थे। सहकर्मी का नाम सना है जिसे पुलिस ने फिलहाल नजरबंद कर रखा है।

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रास्ते में यूपी पुलिस ने विवेक तिवारी को गाड़ी रोकने को कहा। पुलिस का कहना है कि कि वे आपत्तिजनक हालत में थे और गाड़ी नहीं रोक रहे थें। जब पुलिस ने मना किया तो वे सिपाही को कुचलने लगे। उसके बाद सड़क दुर्घटना में वे मारे गए।

लेकिन गाड़ी में बैठी सहकर्मी का कहना है कि ‘पुलिस वाले उनकी गाड़ी को जबर्दस्‍ती रोक रहे थे। सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी। जिसके बाद पुलिसवालों ने सामने से अपनी बाइक लगा दी और रोकने लगे।

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इस बीच उनकी गाड़ी पुलिसवालों की बाइक पर थोड़ी सी चढ़ गई। पीछे बैठे सिपाही के पास लाठी थी और आगे बैठे सिपाही के पास बंदूक थी। आगे बैठे सिपाही ने सीधा सर को गोली मार दिया।’

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विवेक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आ चूकी है जिसमें खुलासा हुआ है कि सिर पर गोली लगने के कारण उसकी मौत हुई है। कार को देखने से भी स्पष्ट हो जाता है कि उसे सामने से गोली मारी गयी है। ऐसे में पुलिस की दुर्घटना वाली थ्योरी संदेहास्पद लगती है।

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वैसे तो इस तरह के एनकाउंटर उत्तर प्रदेश में अब आम हो चुके हैं। लेकिन इस बार मीडिया से लेकर सरकार तक सब फुर्ती में नजर आ रहे हैं। मशहूर शायर राहत इंदौरी कहते हैं ‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है…’

इसका सीधा सा मतलब यही है कि जो फुर्ती अभी दिखायी जा रही है, अगर यही फुर्ती दलितों और मुस्लिमों के फर्जी एनकाउंटर वक्त भी दिखायी गई होती तो आज विवेक तिवारी जिंदा होते।

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वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल फेसबुक पर लिखते हैं ‘पुलिस को बेलगाम छोड़ोगे तो यह सही है कि ज़्यादातर जाटव, अहीर, पासी, पटेल, बिंद, अंसारी, गुर्जर, खान मरेंगे, लेकिन कभी कभी तिवारी और शर्मा भी मरेंगे। इसे कोलेट्रल डैमेज कहते हैं। इसलिए कानून और संविधान का राज अच्छा है। हर किसी के हित में है।’

दिलीप मंडल समाज को आईना दिखाते हुए शायरी के अंदाज में लिखते हैं ‘लगेगी आग तो आएँगे तिवारी के भी घर ज़द में। यहाँ पे सिर्फ़ जाटव, अहीर, मल्लाह, अंसारी, पटेल, गुर्जर और खान का मकान थोड़ी है! राहत इंदौरी साहेब की प्रेरणा से।’

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