गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के शिशु रोग विभाग के निलंबित डॉक्टर कफील खान को दो साल बाद विभागीय जांच समिति ने क्लीनचिट दे दी है। डॉ कफील पर आरोप था कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के लिए वह ज़िम्मेदार हैं। इन्हीं आरोपों की बुनियाद पर उन्हें 9 महीने जेल में रहना पड़ा था।

विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में बच्चों की मौत में वह जिम्मेदार नहीं हैं और उन्होंने 10 और 11 अगस्त की रात को अस्पताल में बच्चों की जान बचाने के लिए तमाम प्रयास किए थे। जांच की रिपोर्ट गुरुवार को बीआरडी अधिकारियों ने कफील को दी। हालांकि ये रिपोर्ट 16 अप्रैल को ही आ गई थी।

क्या है पूरा मामला?

10 अगस्त, 2017 की रात जब डॉ. कफील ड्यूटी पर थे, तब अचानक ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म होते ही आईसीयू विभाग में भर्ती कई नवजात बच्चों ने दम तोड़ दिया था। उस वक्त डॉ. कफील बच्चों को बचाने के लिए अस्पताल के बाहर से ऑक्सीजन सिलिंडर लाए थे। घटना के बाद शुरुआत में तो डॉ. कफील मीडिया में हीरो बनकर उभरे। लेकिन थोड़े ही दिन बाद जब उन्होंने सरकार की लापरवाही पर सवाल खड़े करना शुरु किया तो 22 अगस्त को उन्हें लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई।

डॉ कफील को मिली क्लीनचिट, बोले- मुझे उस अपराध के लिए सरकार ने सजा दी जो मैंने किया ही नहीं

इसके बाद 2 सितंबर 2017 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट से ज़मानत की अपील की और 9 महीने बाद 25 अप्रैल 2018 को कफील को ज़मानत मिल गई। ज़मानत के बाद कफील ने हाईकोर्ट का रुख़ किया, जहां मार्च 2019 में कोर्ट ने विभागीय जांच 90 दिनों में पूरा करने का आदेश दिया। अब दो साल बाद उन्हें मामले में निर्दोष पाया गया है।

डॉ कफील को मामले में क्लीनचिट दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन उनसे माफी मांगे। लेकिन डॉ कफील का कहना है कि उन्हें माफी नहीं चाहिए, बल्कि असली गुनहगारों के लिए सज़ा चाहिए।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “माफी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं, लेकिन बीआरडी ऑक्सीजन कांड के असली गुनहगारों सज़ा मिलनी चाहिए। जिन 70 माता-पिता ने अपने बच्चे खोए हैं, उन्हें इंसाफ़ मिलना चाहिए”।   

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