डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत लगातार गिरने और पेट्रोल-डीजल के दामों के बढ़ने का असर अब देश की महंगाई दर पर दिखने लगा है।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति यानि थोक महंगाई दर सितंबर महीने में बढ़कर 2 महीने के उच्चतम स्तर 5.13 फीसदी पर पहुंच गई।

दरअसल, रूपये के दाम गिरने से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापर से आने वाला सामान महंगा हो जाता है क्योंकि उसी अदायगी डॉलर में ही होती है।

वहीं, देश में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इससे ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाता है। इस तरह जब सामानों की ढुलाई महंगी होती है तो उसका असर भी महंगाई पर दिखता है।

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डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 4.53 फीसदी और पिछले साल सितंबर में 3.14 फीसदी थी।  अब सितम्बर में बढ़कर 5.13 फीसदी पर पहुंच गई।

ईंधन एवं बिजली बास्केट में महंगाई पिछले साल सितंबर के मुकाबले इस साल 16.65 फीसदी बढ़ गई। पेट्रोल और डीजल की मुद्रास्फीति क्रमश: 17.21 फीसदी और 22.18 फीसदी रही तथा एलपीजी की मुद्रास्फीति 33.51 फीसदी रही।

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सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राइमरी आर्टिकल्स WPI -0.15 फीसदी से बढ़कर 2.97 फीसदी हो गया है। खाद्य पदार्थों की महंगाई दर -2.25 फीसदी से बढ़कर 0.14 फीसदी हो गई है।

दालों की थोक महंगाई दर -14.26 फीसदी से बढ़कर -18.14 फीसदी और आलू की थोक महंगाई दर 71.89 से बढ़कर 80.13 फीसदी हो गई है।

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