मोदी सरकार की तरफ से बार बार रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण प्रेस कांफ्रेंस कर रही है। राहत देने की बात कर रही है। मगर देश में मंदी बढ़ती जा रही, सरकार इसपर अभी कुछ भी बोलने से बच रही है।

इसी बीच रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शशिकांत दास ने जीडीपी गिरावट पर हैरानी जताते हुए कहा कि GDP विकास दर का अनुमान 5.8 प्रतिशत लगाया गया था लेकिन 5 प्रतिशत के आंकड़े ने हैरान कर दिया है।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर चिंता जता चुके है। अब आदित्य बिड़ला ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री अजित रानाडे ने मौजूदा जीडीपी गिरावट और आर्थिक स्थिति को लेकर प्रतिक्रिया दी है।

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उन्होंने कहा कि विकास दर में लगातार पांच तिमाहियों में गिरावट देखी जा रही है, यह अस्थायी मंदी नहीं है। इसके संरचनात्मक कारण हैं, जो जल्दी दूर नहीं होंगे। वहीं दूसरी तरफ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने मंदी को लेकर कहा कि ये ऐसे जाने वाली मंदी नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत में मंदी असल में 2018-19 की दूसरी तिमाही से ही शुरू हो गई है। अब सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है कि मंदी की स्थिति है। सरकार द्वारा हाल में किए गए उपायों से हालांकि मामूली सुधार ही होंगे। चालू वित्त वर्ष की विकास दर 6-6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। यानी मंदी कुछ और तिमाहियों तक बनी रह सकती है।

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गौरतलब हो कि रिजर्व बैंक ने जून महीने की अपनी नीतिगत समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था। आरबीआई ने कहा था कि ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए डिमांड को बूस्ट देना जरूरी है।

बता दें कि भारत की विकास दर, यानी की GDP ग्रोथ 8% से गिरकर 5% हो गयी है। अप्रैल-जून 2019 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 5% हो गयी है जबकि यही ग्रोथ पिछले साल इसी अवधि के लिए 8% थी। इन आंकड़ों को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जारी किया है। पिछले 25 तिमाहियों में ये भारत की सबसे कम ग्रोथ है

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