अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को साधने के लिए हर राजनीतिक दल रणनीतियां बनाने में जुट गया है।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भाजपा के लिए जीत हासिल करना बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि इस बार किसान आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं।

बीते साल मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान भारी तादाद में विरोध कर रहे हैं।

ऐसे में पंजाब और उत्तर प्रदेश में इस बार भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा कोरोना महामारी में योगी सरकार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और कुप्रबंधन के कारण भी काफी किरकिरी हुई है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अब किसान संगठनों ने बड़ा ऐलान कर दिया है। इस संदर्भ में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने अपनी रणनीति सांझा करते हुए कहा है कि

बीते 7 महीने से हम लोग दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा किसानों की शहीदी हो चुकी है। हजारों किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।

इन 7 महीनों में किसानों ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन अभी तक सरकार द्वारा किसानों की बात मानी नहीं गई है। अब हमारा अगला प्लान है मिशन उत्तर प्रदेश।

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले किसानों द्वारा राज्य में भाजपा को घेरा जाएगा। इस संदर्भ में 5 सितंबर को किसानों द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया है। इसके बाद कई और कार्यक्रम भी किए जायेंगे।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जरूर हराएंगे।

इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कह चुके हैं।

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