‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ का प्रचार मोदी सरकार भले ही जोर-शोर से कर रही है। मगर इसकी हकीकत बिल्कुल उलट है। उत्तर प्रदेश के एक भी किसान को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तीसरी किस्त नहीं मिली है।
ये सभी आंकड़े सरकार की ऑफिसियल किसान निधि योजना की वेबसाइट से प्राप्त हुए है। बता दें कि योजना के तहत तीसरी किस्त 1 अगस्त से 30 नवंबर के बीच किसानों के खाते में डाली जानी थी।
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती और ग्रामीण इलाकों में मांग में आई भारी गिरावट को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से किसानों को पैसे मिलने में हो रही देरी के कारणों को पता करने के निर्देश दिए हैं। जबकि एक गुप्त अधिकारी ने बताया कि, “किसान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। ऐसे में लाभार्थी किसानों तक फंड पहुंचना बहुत जरुरी है।”
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गौरतलब है कि, किसान योजना के तहत केंद्र सरकार को किसानों के खाते में 6 हजार रुपये भेजना है, जो दो-दो हजार करके तीन बार में देना है। लेकिन, डेटा के मुताबिक 6.47 करोड़ किसानों को ही पहली किस्त का फायदा मिला, मगर दूसरी किस्त में ये आंकड़ा घटकर आधा हो गया जिसकी संख्या मात्र 3.83 किसानों को ही दूसरी किस्त का पैसा मिला है।
मोदी सरकार ने जनधन योजना, नोटबंदी, मेक इन इंडिया, स्वस्छ योजना कार्यक्रमों के तहत जितने भी दावे पेश किए उसमें निराशा ही हाथ लगी है। यही हाल अब किसान योजना का भी हो गया है। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले ही मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी। दूसरी बात ये है कि इस योजना में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश सबसे पिछड़ा हुआ है। जबकि आन्ध्र, गुजरात में स्थिति अच्छी है।