उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरान कर देनी वाली खबर सामने आ रही है। जिस पुलिस को जनता की सुरक्षा के लिए रखा गया है, जिस पुलिस को डकैत और अपराधियों को पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई है, उसपर खुद ही डकैती के आरोप लग रहे हैं।
तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कानपुर में कोर्ट के आदेश पर लखनऊ पुलिस की क्राइम ब्रांच पूर्वी में तैनात इंस्पेक्टर रजनीश वर्मा समेत आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ काकादेव थाने में डकैती का मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, पीड़ित छात्र मयंक सिंह ने पुलिस पर उसके परिजनों के घर में घुसकर लूट-पाट करने का आरोप लगाया है। पीड़ित ने काकादेव थाने में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की, लेकिन सुनवाई न होने पर उसने कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई। अब कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
मयंक कानपुर के शास्त्री नगर का रहने वाला है और बीबीए की पढ़ाई करता है। उसके पास 40 लाख रूपए थे जिसकी जानकारी लखनऊ क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर रजनीश वर्मा के मुखबिर को लग गई। मयंक का आरोप है कि पुलिस ने उसको और उसके दोस्त आकाश को अगवाह किया, फिर दोनों को लखनऊ कैंट थाने ले गई।
पुलिस ने मयंक के मामा विक्रम से 40 लाख मांगे। विक्रम के मना करने पर इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मियों ने दूसरे मामा दुर्गा के घर से डेढ़ लाख रुपए की लूटपाट की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस ने मयंक के परिजनों से 40 लाख रुपए भी ले लिए और मयंक को जुए के मुकदमे में फंसा दिया।
एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह यूपी को अपराध मुक्त बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ़ प्रदेश में पुलिस वाले ही अपराध को अंजाम दे रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारी दावों और वास्तविकता के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों है।