विश्व गुरु बनने का दावा करने वाला भारत भूख और कुपोषण के मामले में पाकिस्तान से भी पिछड़ गया है। हालिया जारी 117 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में भारत 102वें स्थान पर पिछड़ गया है। वहीं पाकिस्तान इस लिस्ट में 94 पर है।

इस लिस्ट में भारत की हालत सिर्फ पाकिस्तान (Pakistan) से ही नहीं बल्कि अपने तमाम पड़ोसी देशों से ख़राब है। GHI में चीन 25वें, बांग्लादेश 88वें, नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें और श्रीलंका 66 वें पायदान पर है। रैंकिंग में बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत टॉप पर हैं।

भारत की रैंकिंग केंद्र में मोदी सरकार (Modi Government) के आने के बाद से गिरती जा रही है। 2014 में भारत 55वें नंबर पर था। 2015 में 93वें, 2016 में 97वें, 2017 में 100वें और साल 2018 में 103वें स्थान पर रहा था। पिछले साल जब भारत की रैंकिंग 103 थी, तब पाकिस्तान भारत से पीछे 106वें नंबर पर था। लेकिन पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद इस मामले में सुधार हुआ और पाकिस्तान रैंकिंग में 94 पर आ गया।

GHI की इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के उस दावे को भी ग़लत बताया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ग्रामीण भारत को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी और ये तय किया था कि हर घर में शौचालय की व्यवस्था हो, हालांकि भारत में शौचालय बने, लेकिन खुले में शौच की प्रवृति भारत में जारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रवृति से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और इसका सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं।

हंगर इंडेक्स वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भूख को मापने का पैमाना है। ये इंडेक्स दुनिया भर में कुपोषण और भूख को चार पैमानों पर रिकॉर्ड करता है। ये आंकड़े हैं कुपोषण, बाल मृत्युदर, उम्र के अनुपात में कम विकास, लंबाई के अनुपात में कम वज़न।

ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बच्चों में कुपोषण की स्थिति भयावह है। देश में 20.8 फीसद बच्चों का पूर्ण शारीरिक विकास नहीं हो पाता, इसकी बड़ी वजह कुपोषण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 6-23 महीनों के बच्चों में मात्र 9.6% बच्चों को न्यूनतम स्वीकार्य आहार खिलाया जाता है।

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