कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम को भारतीय अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए अपशगुन बताया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के कदम पड़ने से ही इसरो का संपर्क लैंडर विक्रम से टूट गया।

मैसूर में एक संवाददाता सम्मेलन में कुमारस्वामी ने कहा “मोदी ऐसे बेंगलुरु आए थे, मानो वो खुद चंद्रयान-2 को उड़ा रहे हों। मैं नहीं जानता, लेकिन शायद पीएम मोदी का इसरो में कदम रखना वैज्ञानिकों के लिए सही नहीं रहा”। उन्होंने कहा, “बेचारे वैज्ञानिकों ने 10 से 12 साल कड़ी मेहनत की। चंद्रयान-2 के लिए कैबिनेट की मंजूरी 2008-09 में दी गई थी और इसी साल फंड जारी किया गया था”।

आज पूरा देश ISRO के साथ खड़ा है लेकिन तब कहां था जब मोदी सरकार ने वैज्ञानिकों की सैलरी घटा दी थी

बता दें कि पिछले शनिवार (7 सितंबर) को लैंडर विक्रम जब चांद की सतह पर लैंड कर रहा था, उसी दौरान इसरो का उससे संपर्क टूट गया था। जानकारी के मुताबिक लैंडर विक्रम ने आखिर के कुछ मिनटों में संपर्क खो दिया। बाकी सारी प्रक्रिया प्लान के मुताबिक हुई। इसरो चीफ के सिवन ने इस मामले पर कहा कि लैंडर विक्रम के लैंडिंग के ग्राफ के मुताबिक, लैंडर से संपर्क करीब 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर टूटा।

जिस समय लैंडर विक्रम से संपर्क टूटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय पर मौजूद थे। हालांकि ये मिशन अभी भी जारी है। इसरो अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश में जुटा है। इस काम में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसरो की मदद के लिए सामने आया ह।

इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है। साथ ही नासा अपने मून ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर लेने की भी कोशिश कर रहा है। अगर विक्रम लैंडर की तस्वीर मिलती है या फिर संपर्क होता है, तो नासा इसको इसरो के साथ साझा करेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here