यूपी में इस बार का पंचायत चुनाव हिंसा, धांधली, मारपीट और धक्कामुक्की के लिए सदियों तक याद रखा जाएगा। जिस प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीतने के लिए धांधली हुई, ठीक वही चीजें ब्लाॅक प्रमुख चुनाव में नामांकन के दौरान भी की गई।

कहीं प्रत्याशियों को नामांकन करने से वंचित कर दिया गया, कहीं जबरन फाइल छीन लिया गया तो कहीं भरा हुआ नामांकन पर्चा ही छीन कर फाड़ लिया गया।

इस तरह के अलोकतांत्रिक आचरण की पूरे देश में निंदा हो रही है। अब लोग भारत के विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने के दावे पर ही सवालिया निशान लगाने लगे हैं !

यूपी के अधिकांश ब्लाॅक में इस तरह की घटनाएं देखने को मिली लेकिन लखीमपुर खीरी में तो सारी हदें पार हो गई।

यहां पर समाजवादी पार्टी की प्रस्तावक की इज्जत तार तार कर रख दी गई। भरी भीड़ में सरेआम एक महिला बीडीसी की साड़ी खींची गई और पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रह गई।

मामला यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के पसगवां ब्लाॅक की है। यहां से समाजवादी पार्टी ने ऋतु सिंह को ब्लाॅक प्रमुख का उम्मीदवार बनाया था। ऋतु सिंह ने बीडीसी सदस्य अनिता देवी को अपना प्रस्तावक बनाया था।

जैसे ही ऋतु सिंह अपनी प्रस्तावक के साथ नामांकन के लिए पहुंची, वहां पर अफरा तफरी मचा दी गई।

ऋतु सिंह की प्रस्तावक अनिता देवी को भाजपा समर्थकों ने घेर लिया और बेहद असभ्य तरीके से उनके साथ धक्कामुक्की शुरु कर दी।

अनिता देवी को सड़क पर घेर लिया गया और उनकी साड़ी खींची गई। काफी समय तक भाजपा समर्थक इस वारदात को अंजाम देते रहें। ऋतु सिंह इस धक्कामुक्की में नामांकन नहीं कर पाई।

वहां पर मौजूद पुलिसकर्मी तमाशबीन की तरह सारा तमाशा देखते रहें। ऐसा लग रहा था कि पुलिस को ही आदेश दे दिया गया था कि जो होता है, होने दो… चुनाव लड़ने से प्रत्याशियों को रोकने की ऐसी अभद्रता शायद ही भारत के इतिहास में कभी हुई हो!

यूपी में हुई इस बेहद अमर्यादित घटना की निंदा करते हुए यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने शस्त्र उठाने का आह्वान कर दिया और पुष्यमित्र उपाध्याय की कविता सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो.. अब गोविंद न आएंगे…. ट्वीट कर दिया।

एक यूजर ने लिखा- “जब किसी औरत की सरे आम साड़ी खींची जाती है, तब ये “हिन्दुत्व के ठेकेदार” कहाँ “अंडरग्राउंड” हो जाते हैं ??

इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद देशभर में योगी सरकार के पुलिस-प्रशासन की आलोचना हो रही है मगर फिलहाल मीडिया की निष्ठा सरकार में बची हुई है और अधिकतर टीवी चैनलों ने इसपर चुप्पी साध रखी है।

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