अगले महीने यानी 8 नवंबर को नोटबंदी लागू हुए तीन साल हो जायेंगे। साल 2016 में मोदी सरकार ने जो नोटबंदी लागू की उसका अब देश की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह से लेकर कई विपक्षी नेताओं ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरनाक बताया था।
अब इस मामले पर हार्वर्ड और आईएमएफ के रिसर्चर्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें दावा किया गया है कि नोटबंदी की पहली तिमाही में ही भारत की आर्थिक गतिविधियों में कम से कम 2.2 फीसदी और नौकरियों में 2 से 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ा है।
इस स्टडी में दावा किया गया है कि नोटबंदी से सबसे ज्यादा झटका खाने वाले भारतीय जिलों में एटीएम निकासी में काफी ज्यादा कमी दर्ज की गई। जिससे साफ़ होता है कि भारतीय अर्थव्वयस्था पर नोटबंदी का किस तरह का असर हुआ है।
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अध्ययन में देखा गया कि नोटबंदी से साल 2016 की चौथी तिमाही में कर्ज प्रवाह में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नोटबंदी को ख़राब तरीके से लागू किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक और सरकार, दोनों ने इस नीतिगत घोषणा से पहले काफी गोपनीयता बरती और रिजर्व बैंक ने घोषणा से पहले बडे़ पैमाने पर नए नोटों को छापने और वितरित करने का काम नहीं किया। इसकी वजह से तत्काल नकदी की भारी कमी हो गई।
प्रिंटिग प्रेस की अपनी सीमा होने के कारण सरकार हटाए जाने वाले नोट की जगह नए नोट नहीं दे पाई जिससे रातोरात करीब 75 फीसदी करेंसी गायब हो गई और इसको सुधरने में आगे कई महीने लग गए। नोटबंदी के दौरान नवंबर और दिसंबर 2016 में आर्थिक गतिविधियों में 2.2 फीसदी की गिरावट आई थी। इन सबके असर से तिमाही ग्रोथ में कम से कम 2 फीसदी तक की गिरावट आई थी।
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बता दें कि इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों में ‘कैश ऐंड द इकोनॉमी: एविडेंस फ्रॉम इंडियाज डीमॉनेटाइजेशन’ शीर्षक से प्रकाशित इस पेपर को लिखने में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर गैब्रिएल छोदोरो-रीच, आईएमएफ की रिसर्च डिपार्टमेंट की डायरेक्टर और इकोनॉमिक काउंसलर गीता गोपीनाथ, गोल्डमैन सैक्स की प्राची मिश्रा और रिजर्व बैंक के अभिनव नारायण शामिल है।
साभार- Businesstoday.in