केंद्र की मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर एक और झटका लगा है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक (Global Competitive Index) में भारत 10 स्थान फिसलकर 68वें स्थान पर आ गया गया। पिछले साल भारत इस सूचकांक में 58वें स्थान पर था।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) की ओर से बुधवार को जारी 141 देशों की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिक्स देशों में भारत का प्रदर्शन ब्राजील (71वें पायदान) के बाद सबसे खराब रहा है। पिछले साल भारत के समकक्ष रहे कोलंबिया, दक्षिण अफ्रीका और टर्की जैसे देशों ने इस साल काफी बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे भारत की रैंकिंग को नुकसान हुआ।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, भारत इंफॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी को लागू करने के मामले में काफी पीछे है। खराब स्वास्थ्य हालातों और स्वस्थ्य जीवन प्रत्याशा के कम होने के चलते भारत की रैंकिंग बिगड़ी है। स्वस्थ जीवन की संभावना के मामले में भारत का स्थान 109वां रहा। यह अफ्रीका के बाहर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है।

लैंगिग समानता के मामले में भी भारत का प्रदर्शन बेहद खराब है। वर्कफोर्स में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात 0.26 फीसदी होने के चलते भारत को इस क्षेत्र में 128वां स्थान मिला है। सूची के मुताबिक भारत को अपना स्किल बेस बढ़ाने की भी ज़रूरत है।

हालांकि कॉरपोरेट गवर्नेंस के मामले में भारत को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 15वें स्थान पर रखा है। शेयरहोल्डर गवर्नेंस में दूसरे नंबर पर और मार्केट साइज में भारत को तीसरा नंबर दिया गया है।  नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में भी भारत को तीसरा नंबर मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक इनोवेशन के मामले में भी भारत को कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से ऊपर रखा गया है।

प्रतिस्पर्धिता की रैंकिंग में भारत के बाद श्रीलंका 84वें, बांग्लादेश 105वें, नेपाल 108वें और पाकिस्तान 110वें स्थान पर रहा। वहीं अमेरिका को पीछे छोड़कर इस बार सिंगापुर पहले स्थान पर आ गया है।

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