अमेरिकी हाउफ ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पहली और एकमात्र भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल ने कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से अपील की है कि वह कश्मीर में संचार माध्यमों को तत्काल बहाल करने और हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ने के लिए भारत सरकार पर दबाव डालें।

प्रमिला ने ये अपील एक पत्र के माध्यम से की है। उनके अलावा सांसद जेम्प पी मैकगवर्न ने भी कश्मीर के हालात पर चिंता ज़ाहिर करते हुए माइक पोम्पिओ को पत्र लिखा है। पत्र में प्रशासन से अपील की गई है कि वह भारत सरकार पर कश्मीर में लगाए गए संचार प्रतिबंध को तत्काल समाप्त करने और एहतियात के रूप में हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने का दबाव बनाए।

इसके साथ ही पत्र में ये अपील भी की गई है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को तत्काल जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी जाए ताकि वे मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर सकें। वहीं भारत सरकार से अपील की गई है कि वह अस्पतालों में जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे और एक जगह जुटने तथा प्रार्थना करने के लिए कश्मीरी लोगों के अधिकारों की रक्षा करे।

दोनों सांसदों के मुताबिक उन्हें पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से विश्वसनीय रिपोर्ट भी मिली है कि जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार द्वारा हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है और लोगों के इंटरनेट कनेक्शन एवं टेलिफोन लाइन काट दिए गए हैं। सांसदों ने भारत सरकार से अपील की है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता बरकरार रखे।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को पांच अगस्त को खत्म कर दिया गया था जिसके बाद से वहां प्रतिबंध लगे हुए हैं। इन प्रतिबंधों के चलते कश्मीरियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि कश्मीर में हालात को सामान्य करने के लिए प्रतिबंध अनिवार्य हैं। हालात सुधरने पर प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे।

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