‘रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया में बड़े पदों पर बैठे लोगों को आलोचना सहन करने की शक्ति होनी चाहिए।’ ऐसा मानना है आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का। जिन्होंने एक ब्लॉग में ये बात कही कि अगर सरकार के अधिकारी हरेक आलोचक को चुप रहने के लिए फ़ोन करेंगे और ट्रोल आर्मी उन्हें टार्गेट करेगी तो कई अपना स्वर नरम कर लेंगे।

रघुराम राजन ने ब्लाग में लिखा, हर प्रत्येक आलोचक को सरकारी अधिकारी की ओर से फोन पर पीछे हटने के लिए कहा जाएगा, या सत्तासीन दल की ट्रोल आर्मी का निशाना बनाया जाएगा, तो बहुत-से लोग अपनी आलोचना का सुर नीचा कर लेंगे, उसे हल्का कर लेंगे। ऐसे में सरकार तब तक सब कुछ अच्छा-अच्छा दिखने वाले माहौल में वक्त बिता सकेगी, जब तक कड़वी सच्चाई को सचमुच अनदेखा नहीं किया जा सकेगा।

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि निस्संदेह, कुछ आलोचनाएं, जिनमें मीडिया में की जा रही आलोचनाएं भी शामिल हैं, गलत जानकारी पर आधारित होती हैं, खास मकसद से की जाती हैं, पद के स्थान पर व्यक्ति के खिलाफ होती हैं। निश्चित रूप से पिछली नौकरियों के दौरान मेरे खिलाफ भी ऐसा हुआ है। बहरहाल, आलोचनाओं को दबाते रहना नीतिगत गलतियों का रामबाण नुस्खा है।

बता दें कि रघुराम राजन ने ऐसा इसलिए कहा कि क्योंकि पिछले दिनों प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से रतिन रॉय तथा शमिका रवि को मोदी सरकार ने हटा दिया था है। जिन्हें सिर्फ इसलिए हटाया क्योंकि वो सरकार की नीतियों की आलोचना किया करते थे।

ब्रुकिंग्स इंडिया में डॉयरेक्टर ऑफ रिसर्च शमिका रवि तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के निदेशक रतिन रॉय ने सॉवरेन बॉन्डों (sovereign bonds) के ज़रिये विदेशी बाज़ारों से राशि जुटाने के सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किए थे।

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