बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के साथ पुलिस की बर्बरता के मामले आए दिन सुर्खियां बटोर रहे हैं। अब ताज़ा मामला झारखंड की राजधानी रांची से सामने आया है। जहां अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही आंगनबाड़ी सेविकाओं पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां भांज दीं।
दरअसल, अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ की महिलाएं सीएम आवास का घेराव करने पहुंची थीं। लेकिन जैसे ही महिलाएं सीएम आवास के करीब पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। जिसका महिलाओं ने विरोध किया। महलिओं का ये विरोध पुलिस को बर्दाश्त नहीं हुआ और पुलिस ने महिलाओं पर बेरहमी से लाठियां भांजनी शरु कर दी।
महिलाओं पर लाठियां बरसाने वाले सभी पुलिसकर्मी पुरुष थे। महिलाओं को रोकने के लिए मौके पर कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थीं। पुलिस की इस पिटाई में कई आंगनबाड़ी सेविकाएं बुरी तरह घायल हो गईं। इस मामले का वीडियो भी सामने आया है। जिसे सोशल मीडिया पर शेयर कर झारखंड पुलिस की जमकर आलोचना की जा रही है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने भी ट्विटर पर इस वीडियो को शेयर करते हुए पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने घटना की आलोचना करते हुए लिखा, “जब घमंड चरम स्तर पे हो, तो सत्ता में बैठे लोग जनता को कीड़े मकोड़े समझ रौंदते है! झारखंड में CM से मिलने जा रही आंगनबाड़ी वर्कर के प्रति सरकार का रवैया! क्या अब तक किसी पुलिसवाले पे कार्यवाही हुई? क्यों कोई महिला पुलिसकर्मी तैनात नहीं थी? तुरंत कार्रवाई करो सीएम रघुबर दास”।
जब घमंड चरम स्तर पे हो, तो सत्ता में बैठे लोग जनता को कीड़े मकोड़े समझ रौंदते है!
झारखंड में CM से मिलने जा रही आंगनबाड़ी वर्कर के प्रति सरकार का रवैया! क्या अब तक किसी पुलिसवाले पे कार्यवाही हुई? क्यों कोई महिला पुलिसकर्मी तैनात नहीं थी?
तुरंत कार्रवाई करो @dasraghubar! pic.twitter.com/Y3RhVgYLTd
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) September 25, 2019
बता दें कि इससे पहले 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम स्थल पर हंगामा करने जा रही आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ की महिलाओं को कोतवाली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि बाद में इन महिलाओं को रिहा कर दिया गया था।
क्या हैं आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांगें?
आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांग है कि उनके मानदेय में वृद्धि (सेविका को 1400 रुपये अतिरिक्त मानदेय के बजाय पांच हजार तथा सेविका और लघु आंगनबाड़ी सेविका को 700 रुपये के बजाय 2500 रुपये) कर दी जाए। ये सेविकाएं लगभग डेढ़ महीने से मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं। लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।