सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से अक्सर एक सवाल पूछा जाता है- वो मीडिया के सवालों का जवाब क्यों नहीं देते?

सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि वो जनता के जानने के सवालों से भागते रहते हैं.

इस आरोप को सच साबित करते हुए वित्त मंत्रालय ने मीडिया के सवालों से खुद को छुपाने का नया तरीका ईजाद किया है. मंत्रालय ने एक नया नियम जारी किया है. इसके मुताबिक पत्रकार अब वित्त मंत्रालय की तरफ से होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में अधिकारियों से सवाल नहीं पूछ पाएंगे. उन्हें अपने सवाल ईमेल के ज़रिए भेजने होंगे.

दरअसल, पत्रकारों को 2 अगस्त को मंत्रालय की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस में बुलाया गया था. वहां पर मौजूद पत्रकारों को बताया गया कि अधिकारी वहां पर अपनी बात रखेंगे लेकिन कोई भी सवाल नहीं लेंगे. इसके साथ-साथ ये भी कहा गया कि अगर पत्रकारों को कोई सवाल पूछना होगा तो वो ईमेल कर सकते हैं.

पहले तो मंत्रालय का इस तरह पत्रकारों को प्रेस कांफ्रेंस में बुलाना ही चौंकाने वाला था. क्योंकि आम बजट के आने के बाद मंत्रालय ने पत्रकारों को अधिकारियों की इजाज़त के बिना ब्रीफिंग्स में आने के लिए मना किया था.

अब पत्रकारों को प्रेस कांफ्रेंस में बुलाने के बावजूद उन्हें सवाल पूछने से रोकना अपने आप में एक संकेत दे रहा है कि अधिकारी और सरकार नहीं चाहते कि उनसे सवाल पूछा जाए.

आखिर ईमेल में सवाल जवाब कैसे किया जा सकता है? और काउंटर-सवाल करना तो अपनेआप में मुश्किल होगा.

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