यूपी के उन्नाव में एक बेहद शर्मनाक वाकया हुआ. बांगरमउ पुलिस ने सब्जी बेचने वाले एक युवक को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई.

मोहम्मद फैसल नामक युवक भटपुरी का रहने वाला था और एक पेड़ के नीचे सब्जी की दुकान लगाता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था.

इसी बीच कोतवाली से दो सिपाही पहुंचे और लाॅकडाउन का हवाला देते हुए दुकान समेटने का आदेश दिया, इस पर फैसल और पुलिसवालों के बीच नोंकझोंक हो गई.

इसके बाद पुलिस ने फैसल को बुरी तरह से पीट दिया और इतना पीटा कि जैसे वो कोई आंतकवादी हो.

इसके बाद उसे बाइक पर बैठाकर थाने लेकर आ गए. स्थानीय एएसपी ने दावा किया कि बाइक पर ही फैसल की तबीयत खराब हो गई थी.

पुलिस का कहना है कि उसे पहले से बुखार था. थाना पहुंचते ही उसे चक्कर आ गया और वो गिर गया था. स्थानीय अस्पताल में ले जाने के बाद उसकी मौत हो गई.

पुलिस का कहना है कि डाॅक्टरों का कहना था कि उसे हार्ट अटैक आ गया था, इस वजह से उसकी मौत हो गई.

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष त्रिपाठी ने इस घटना के बाद मोहम्मद फैसल के रोते बिलखते परिजनों का एक वीडियो फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि “ये चीख सुन लिजिए और झांकिए अपनी वर्दी के अंदर. आपको खून से सना हुआ आपका जिस्म दिखाई देगा.

आखिर क्या गलती थी इस नौजवान की. सिर्फ सब्जी ही तो बेच रहा था. आपकी तरह अपना ईमान तो गिरवी नहीं रखा था. शर्मनाक !”

यह मामला बेहद गंभीर है. लाॅकडाउन या कफर््यू के दौरान दुकान लगाना अपराध है लेकिन कोई आतंकवाद नहीं है जो किसी दुकानदार की पीट पीट कर हत्या कर दी जाए.

कोरोना की महामारी से बचने से निपटने के लिए लाॅकडाउन का पालन जरुरी है लेकिन दुकानदारों के उस दर्द को भी समझना पड़ेगा कि उनका भी परिवार है, उनके भी बच्चे हैं !

उन्हें भी भूख लगती है. कोई नहीं चाहता कि वो सरकार के बनाए नियमों का उल्लंघन करे लेकिन पेट की भूख भी तो कोई चीज है ! शासन, प्रशासन को कड़ाई के साथ साथ संवेदना भी रखनी चाहिए.

पुलिस वालों के उपर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेवारी होती है लेकिन किसी की भी हत्या करने का अधिकार इन पुलिस वालों को किसने दे दिया ?

शायद वर्दी के नीचे जो बेईमान और बेहया जिस्म है, वो किसी भी प्रकार की नैतिकता की परवाह नहीं करता और इसी बेहयाई ने मोहम्मद फैसल की हत्या कर दी.

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