भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के लिए हमेशा राम मंदिर के नाम पर राजनीति करती आई है। अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

उससे ठीक पहले एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण राजनीतिक मुद्दा बन गया है। लेकिन इस बार यह मुद्दा भाजपा के लिए फायदेमंद कम और नुकसानदायक ज्यादा साबित हो सकता है।

दरअसल समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे पवन ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट पर जमीन की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। जिसके बाद भाजपा विपक्षी दलों के निशाने पर आ चुकी है।

समाजवादी पार्टी, कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले में भाजपा से जवाबदेही मांगी है।

बता दें, श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर घोटालेबाजी के आरोप लगे हैं।

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि “राममंदिर करप्शन का केस कोर्ट में गया तो बीजेपी को एक और जज को रिटायरमेंट के बाद राज्य सभा सदस्य, गवर्नर या किसी आयोग का अध्यक्ष बनाना पड़ जाएगा!”

दिलीप मंडल द्वारा किए गए इस ट्वीट से आशय है कि सुप्रीम कोर्ट में कई सालों से लंबित चल रहे राम मंदिर मुद्दे का फैसला सुनाने वाले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को भाजपा द्वारा राज्यसभा की सदस्यता दी गई थी।

अब विपक्षी दलों द्वारा इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की जा रही है।

आपको बता दें कि श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट द्वारा जमीन की खरीद में किए गए भ्रष्टाचार के चलते भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता के निशाने पर भी आ चुके हैं।

दरअसल श्रीराम मंदिर के साथ लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। इसलिए लोगों ने बड़ी तादाद में मंदिर के निर्माण के लिए पैसों का दान भी किया है।

ऐसे में धार्मिक स्थल के लिए खरीदी गई जमीन में भ्रष्टाचार की खबर आने से लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी देखी जा रही है।

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