हिंदी दिवस के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने ‘एक देश एक भाषा’ को बढ़ावा देने का राष्ट्रवादी विचार रखा था। शाह ने कहा था कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने। उन्होंने कहा था कि मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं।
इस मामले पर पुडुचेरी के सीएम नारायणसामी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अकेले हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश देश को साथ रखने वाली नहीं है। अब इस मामले पर मक्कल निधि मैय्यम पार्टी के अध्यक्ष और अभिनेता कमल हासन ने बकायदा एक वीडियो जारी की है। जिसमें कहा कि भारत 1950 में ‘अनेकता में एकता’ के वादे के साथ गणतंत्र बना था और अब कोई ‘शाह, सुल्तान या सम्राट’ इससे इनकार नहीं कर सकता है।
अमित शाह बोले- हिंदी बने राष्ट्रभाषा, पुडुचेरी CM ने कहा- ऐसी कोशिश देश को कमजोर कर सकती है
वह सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं लेकिन उनकी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी। उन्होंने कहा कि इस बार एक बार फिर भाषा के लिए आंदोलन होगा और यह जल्लीकट्टू आंदोलन से भी बड़ा होगा।
हसन ने कहा कि जल्लीकट्टू तो सिर्फ विरोध प्रदर्शन था। हमारी भाषा के लिए जंग उससे कई गुना ज्यादा होगी। राष्ट्रगान भी बांग्ला में होता है, उनकी मातृभाषा में नहीं। वह जिस बात का प्रतीक है, उसकी वजह से हम उसे गाते हैं और इसलिए क्योंकि जिस शख्स ने उसे लिखा वह हर भाषा को अहमियत और सम्मान देते थे। कमल ने कहा कि भारत एक संघ है जहां सभी सौहार्द के साथ मिलकर बैठते हैं और खाते हैं। हमें बलपूर्वक खिलाया नहीं जा सकता।
Now you are constrained to prove to us that India will continue to be a free country.
You must consult the people before you make a new law or a new scheme. pic.twitter.com/u0De38bzk0
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 16, 2019
बता दें कि भारतीय संविधान ने जिन 22 भाषाओं को मान्यता दी है। उनमें असामी, बंगाली, बोडो, डोगरी गुजराती, हिंदी, कन्नड़ा, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिलि, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओड़िया पंजाबी, संस्कृत, संथाली,तमिल,तेलगु और उर्दू जैसी भाषाएँ शामिल है। इसके बावजूद देश में अभी तक किसी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है।
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इसके साथ ही भारत में 29 भाषाएं ऐसी हैं उनको बोलने वालों की संख्या 1000000 (दस लाख) से ज्यादा है| वहीं 7 भाषाएं ऐसी बोली जाती है जिनको बोलने वालों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं जिनको बोलने वालों की संख्या 10000 (दस हज़ार) से ज्यादा है। ऐसे हालत देखकर अगर ये कहा जाये कि अमित शाह का बयान कितना सही है और कितना गलत इसका आकलन तो खुद सरकार में बैठे लोग ही करेंगें।