Tanya Yadav

मोदी सरकार की कैबिनेट में हुए बड़े फेरबदल के बाद उत्तर प्रदेश से सात नए नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जिसमें से एक नाम मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर का भी है।

भाजपा के अनुसूचित जाति विंग के राज्य प्रमुख और पूर्व समाजवादी पार्टी नेता किशोर का केंद्रीय मंत्री बनना आपको साधारण ख़बर लग सकती है लेकिन ऐसा नहीं है।

महत्वपूर्ण ख़बर तो ये है कि कौशल किशोर अक्सर योगी सरकार को नाकाम बताते रहे हैं, उनकी मनमानी को उनके शासन की अव्यवस्था को एक्सपोज़ करते रहे हैं।

जैसे कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुप्रबंधन पर अपना रोष जताते रहब हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व कौशल किशोर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करके प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोई संदेश देना चाहते हैं?

दरअसल जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ था, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल की सलाह पर ऑक्सीजन सिलेंडर को ख़रीदने और दोबारा भरवाने के लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य कर दिया था।

जनता को पहले ही अस्पतालों में बेड और इलाज नहीं मिल रहा था, और इस फैसले के बाद तो वो अपने होम-क्वारंटाइन किए गए परिजनों के लिए ऑक्सीजन भी नहीं खरीद पा रहे थे। कौशल किशोर ने इस फैसले का जमकर विरोध किया था।

इसके अलावा उन्होनें कोरोना महामारी से निपटने के लिए योगी सरकार के कुप्रबंधन के खिलाफ मुखर रूप से आवाज़ उठाई थी। कोरोना बीमारी के कारण किशोर ने अप्रैल महीने में अपने बड़े भाई को भी खो दिया।

जिसके बाद उन्होनें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर लखनऊ के दो बड़े अस्पतालों, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और बलरामपुर अस्पताल, में कुव्यवस्था पर सवाल उठाया था।

योगी सरकार के खिलाफ कौशल किशोर का ये तेवर नया नहीं है। कोरोना महामारी से पहले भी वो इसी तरह से सरकार को घेरते रहे हैं। किशोर ये भी कह चुके हैं कि सूबे की कानून व्यवस्था ठीक नहीं है।

यूपी में कोई सुनवाई नहीं होती, लोग अगर मेडिकल करवाने जाते हैं तो उन्हें गोली मार दी जाती है। वर्ष 2019 में उन्होनें ये भी कहा था कि राज्य में किसी की ज़मीन पर कब्ज़ा होता है, तो किसी का पैसा प्रॉपर्टी डीलर ले लेता है। अपराध अपने चरम पर है।

यकीनन, यूपी सरकार और सांसद कौशल किशोर के बीच रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं। इन सबके बावजूद राज्य में होने वाले चुनावों से कुछ महीनों पूर्व किशोर को मंत्री बना देना अपने आपमें बड़ी ख़बर है।

ध्यान देने वाली बात ये है कि कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व के खिलाफ पार्टी में आवाज़ें इतनी मजबूत हो गई थी कि उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी ख़तरे में आ गई थी।

फिर उन्हें अपने खिलाफ उठ रही आवाज़ों को शांत करने के लिए पार्टी के तमाम नेताओं से मुलाकात करनी पड़ी थी। फिर चाहे वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, गृह मंत्री अमित शाह हों, भाजपा अध्यक्ष नड्डा हों या फिर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या।

केंद्र और राज्य में हो रही इस हलचल से अनुमान लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा आलाकमान के बीच भी संबंध अच्छे नहीं है।

और आपसी संबंधों की कड़वाहट का नतीजा कितना बुरा हो सकता है इसके लिए इन तमाम नेताओं को अब कुछ ही महीने का इंतज़ार करना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here