कृषि कानून 2020 के विरोध में देश भर के किसानों के लामबंद होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ने 19 नवंबर को इन कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी. फिर भी किसानों ने अपना प्रदर्शन (Protest) कुछ और मांगों को लेकर जारी रखा है.

साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (united farmers front ) के तत्वाधान में आयोजित हो रही किसान महापंचायतों (Kisan Mahapanchayat) से सरकार को चेतावनी दी गई है कि सरकार किसानों से बात करके एमएसपी (MSP) पर कानून बना दे नहीं 26 जनवरी को 400 ट्रक्टरों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के साथ कई और राज्यों में 2022 में विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) होने हैं इस मद्देनज़र सत्ता पक्ष के नेताओं को चिंता हो रही है कि जब देश के प्रधानमंत्री ने कानूनों को रद्द करने ऐलान कर दिया है तो फिर किसान संघठन धरना प्रदर्शन खत्मकर घर क्यों नहीं जा रहे हैं.

इसी बीच हरयाणा सरकार के गृहमंत्री अनिल बिज (Anil Bij) ने किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का नाम लेकर कहा कि किसानों के कृषि कानूनों की वापसी की इतनी बड़ी मांग प्रधानमंत्री ने मान ली है, आपने जश्न नहीं मनाया, जलेबियाँ नहीं बांटीं, साथ ही टिकैत जी आपको प्रधानमंत्री का झूम-झूमकर धन्यवाद करना चाहिए जिसमें आप चूक गए.

जिसदिन सरहदों पर हमारे जवान शहीद हो जाते हैं तो सरकार जश्न मनाती है क्या? आन्दोलन में हमारे सात सौ से अधिक किसानों की जान गई है, हमारे घर में मौत हो रही हुई है ये जश्न मनाने की बात कर रहे हैं, अनिल बिज बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ें हैं लेकिन इनको सामाजिक ज्ञान नहीं है. राकेश टिकैत ने हरयाणा गृहमंत्री अनिल बिज को जवाब देते हुए कहा.

प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों के रद्द करने की घोषणा के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है नए कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की और भी मांगें हैं. जिनको सरकार पूरा नहीं करेगी आंदोलन चलता रहेगा.

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किसानों की मुख्य मांगों में एमएसपी पर कानून, किसानों की बिजली बिल में रियायत, पराली का कानून साथ ही आंदोलन में शहीद हुए किसान के परिवारों की आर्थिक सहयता के साथ और भी मांगें हैं. इनको पूरा न करने पर किसानों ने दिल्ली में ट्रेक्टर रैली निकालने की बात कही है.

अगले साल होने वाले कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव को लेकर सरकार संवेदनशील नज़र आ रही है. चुनावों से पहले आंदोलनरत किसानों की मांगों में कृषि कानून की वापसी से विरोध ख़त्म करना चाह रही थी, लेकिन किसान कुछ और मांगों को लेकर आंदोलन जरी रखे हुए हैं. जो सरकार के लोगों को रास नहीं आ रहा है.

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