क्या हमारे देश में दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग कानून का प्रावधान है? आतंकवाद के मामले की आरोपी भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर खराब स्वास्थ्य के आधार पर कोर्ट से बेल लेकर बाहर हैं,

जबकि छोटे मोटे आरोपों की वजह से जेल में बंद समाजवादी पार्टी के बीमार सांसद आजम खान को बेल नहीं मिल पा रही है जबकि आजम खान की तबीयत बेहद नाजुक बनी हुई है।

भारतीय जनता पार्टी की भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर बम धमाके की आरोपी हैं। प्रज्ञा ठाकुर पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच चल रही है।

महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 में मालेगांव के बम धमाके की आरोपी हैं जिसमें 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थें और 07 लोगों की मौत हो गई थी। 09 साल जेल में रहने के बाद स्वास्थ्य कारणों से प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट ने बेल दे दी थी।

पिछले डेढ़ साल से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जेल में बंद हैं। बार बार आजम खान की तबीयत बिगड़ जाती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।

यूपी के कद्दावर नेताओं में से एक समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की तबीयत बेहद नाजुक बनी हुई है। आजम खान पिछले डेढ़ साल से सीतापुर जेल में बंद हैं।

आजम खान पिछले दिनों कोरोना से भी पीड़ित हुए। बीते 13 जुलाई को आजम खान को अस्पताल में छुट्टी दे दी और आजम खान को एक बार फिर से जेल भेज दिया गया।

एक हफ्ता भी नहीं बीता कि उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई और उन्हें वापस अस्पताल ले जाना पड़ा।

अब यह हैरान करने वाली बात है कि आतंकवाद के मामले की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को स्वास्थ्य कारणों की वजह से बेल मिल जाती है तो उसी स्वास्थ्य कारणों के आधार पर आजम खान को बेल क्यों नहीं मिलती !

भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर पर 07 लोगों की हत्या और बम विस्फोट का मामला है। प्रज्ञा पर अनलाॅफुल एक्टिविटीज प्रिवेंश्न एक्ट यानी यूएपीए के तहत मामला चल रहा है।

जबकि आजम खान पर बकरी और भैंस चोरी जैसे मामले दर्ज हैं। प्रज्ञा ठाकुर पर बेहद गंभीर किस्म के मामले दर्ज हैं, फिर भी उनकी सेहत के आधार पर कोर्ट से बेल मिल जाती है।

जबकि आजम खान की स्थिति यह है कि वो बिना व्हीलचेयर के नहीं चल पा रहे हैं। उनकी पत्नी और विधायक ताजीन फातिमा ने बताया कि जब उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा रहा था तो वो ठीक से एंबुलेंस पर चढ़ भी नहीं पा रहे थे।

जिस तरह का व्यवहार आजम खान की बेल को लेकर हो रहा है, उससे एक बात तो साफ है कि इन दिनों देश में कानून और न्याय व्यवस्था कुछ खास लोगों की कठपुतली बन चुकी है, जिसे उन्हीं के इशारे पर नचाया जा रहा है।

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