प्रतीकात्मक तस्वीर

उन्नाव मामले में सज़ायाफ्ता बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के एक और बड़े अपराध का सनसनीखेज़ ख़ुलासा हुआ है। मामला 2004 का है। आरोप है कि कुलदीप सेंगर और उसके छोटे भाई अतुल सेंगर ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा पर हमला किया था और इस मामले की जांच दबा दी थी।

दरअसल, साल 2004 में बतौर पुलिस अधीक्षक वर्मा जब उन्नाव के एक अवैध खनन स्थल पर दबिश देने पहुंचे थे, उसी दौरान विधायक कुलदीप सेंगर के छोटे भाई अतुल सेंगर और उसके गुर्गों ने आईपीएस वर्मा पर गोलीबारी कर दी थी। इस गोलीबारी में वर्मा को 4 गोलियां सीने और पेट में लगीं थीं। उस गोलीबारी में कुलदीप सेंगर, उसका भाई अतुल और उनके कई गुर्गे शामिल थे.”  जिसके चलते वर्मा को कई तरह की सर्जरी और महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।

इसके बाद कुलदीप सेंगर ने अपने राजनीतिक दबाव का फायदा उठाते हुए थाने से ही इस केस की महत्वपूर्ण फाइलें चोरी करवा दी। इसका असर यह हुआ कि आज तक आईपीएस अफसर की ह’त्या के प्रयास जैसे सनसनीखेज मामले की सुनवाई तक शुरू नहीं हो सकी।

एनडीटीवी से बातचीत में वर्मा ने बताया कि विधायक कुलदीप सेंगर अपने रसूख की बदौलत मामले की जांच और मुकदमे की सुनवाई को प्रभावित करता था। उन्होंने कहा कि मुकदमे की स्थिति का पता लगाने के लिए मुझे आरटीआई फाइल करनी पड़ी थी। इस मामले की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है। एक आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद मेरे साथ जो हुआ, वह बेहद निराश करने वाला है।

वर्मा के एक बैचमेट व यूपी में पदस्थ एक डीआईजी ने एनडीटीवी को बताया कि इस महत्वपूर्ण केस की फाइलें चोरी हो चुकी हैं। गवाहों को धमका दिया गया है। दुख की बात यह है कि ये सब उस मुकदमे में हो रहा है, जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीड़ित है। भारत के प्रधान न्यायाधीश को भी वर्मा के मामले पर संज्ञान लेना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here